पर उपदेश कुशल बहुतेरे !

sohanpal singh
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यह पोस्ट मैं बहुत दुखी मन से लिख रहा हूँ कारण यह है की मैं देश के प्रधान मंत्री की आलोचना नहीं करना चाहता था परंतु सवाल यह कि क्या प्रधान मंत्री अभी भी इलेक्शन मोड में ही हैं क्योंकि जब वह किसान चैनल के लिए एक अदना से एड के लिए जाने माने फ़िल्मी कलाकार अमिताभ बच्चन को 6.31 करोड़ रुपया दे सकते है तो स्वयं रोनी शक्ल बना कर लोगो से गैस सब्सिडी छोड़ने की भीख क्यों मांगते हुए कहते है “अगर आप अपनी गैस की सब्सिडी छोड़ दोगे तो मैं वह गैस सब्सिडी गाँव के उस घर को दूंगा जिस घर की महिला लकड़ी के धुएं में। खाना बनाते हुए अपनी आँखे खराब कर लेतीं हैं ” पहली बात तो यह है की अब गावों में लकड़ी नहीं जानवरों के मल से यानिकी गोबर के उपलों में खाना बनती है और वह धुआं हानिकारक नहीं होता ! दूसरी बात यह की अब शहरी क्षेत्र के गावों में भी गैस के सप्लाई जारी है केवल आदिवासी और सड़क सुविधाओं वंचित गांवों में ही गैस की सुविधा नहीं है ! या फिर वे लोग हैं जिनके पास घर नहीं यानि की बंजारे आदि !
इसलिए माननीय प्रधान मंत्री के द्वारा बहुत ही मासूमियत से गैस सब्सिडी की भीख मांगना कुछ अच्छा नहीं लगता है ! इसलिए बहुत ही ईमानदारी से मैं उनको एक सुझाव देना चाहता हूँ की अगर वह एक गरिमा पूर्ण कदम उठाते हुए सांसदों को दी जा रही करोड़ों रुपये की रेलवे कैंटीन की खान पान सुविधा को ही समाप्त कर देते है तो एक ओर रेलवे का घाटा कम होगा दूसरी ओर सरकार आलोचना से बचेगी ? मेरा दूसरा सुझाव यह है की देश में जो लोग आयकर देते हैं या संपन्न वर्ग से है उनकी सब्सिडी तुरंत प्रभाव से समाप्त कर देनी चाहिए ! मेरा तीसरा और अंतिम सुझाव ये है भारतीय जनता पार्टी दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा भी करती है और इस पार्टी के लोग ही सच्चे देश भक्त भी है जिनकी संख्या दस करोड़ से अधिक है इसलिए अगर पार्टी के ये दस करोड़ और उनके परिवारीजन ही गैस सब्सिडी छोड़ देंगे तो सरकार को 27120 करोड़ वार्षिक का बोझ कम हो जायेगा ?

ऐसा करने से देश में पार्टी की शाख बढ़ने के साथ साथ सरकारी खजाने का बोझ भी कम होगा !

एस पी सिंह, मेरठ

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