क्यों किसी गाड़ी पर ‘प्रेस’ लिखा होना चाहिए? क्या आज किसी गाड़ी पर आपने पलम्बर, हेयर डिजायनर, एक्टर, सिंगर लिखा देखा है? सिर्फ प्रेस और पुलिस जैसे कुछ पेशे वाले ही अपनी गाड़ी पर अपना परिचय लिखवाते हैं। कुछ सालों से विधायक, सांसद, जिला पार्षद लिखने की परंपरा भी शुरु हुई है। क्या यह स्टीकर सिर्फ रोड़ पर मौजूद दूसरे लोगों पर धौंस जमाने के लिए होता है। या इसकी दूसरी भी कोई उपयोगिता है। किसी गाड़ी पर एम्बुलेन्स लिखा हो तो समझ में आता है। चूंकि एम्बुलेन्स के साथ कई लोगों की जिन्दगी और मौत जुड़ी होती है। यह मामला फायर ब्रिगेड की गाड़ियों के साथ भी जुड़ा है।
वैसे कुछ पत्रकार मित्र यह भी कहेंगे कि रिपोर्टिंग के लिए जाते समय वे किसी बेवजह के पचड़े में ना पड़ें इसलिए वे अपनी गाड़ी पर प्रेस का स्टीकर लगाते हैं। वरना रिपोर्टिंग के दौरान वे बेवजह देर होंगे। यह सच भी है कि एक पत्रकार अपने पाठकों और दर्शकों के प्रति जिम्मेवार होता है। उस तक खबर सही समय पर पहुंचे यह उसकी जिम्मेवारी होती है। वास्तव में विरोध प्रेस के स्टीकर से नहीं है। विरोध है, उसके दुरुपयोग से। जो लोग इस स्टीकर का बेजा इस्तेमाल करते हैं उनसे।
वास्तव में प्रेस के स्टीकर के साथ यह अनिवार्य किया जाना चाहिए कि व्यक्ति उस संस्था का नाम भी साथ में जरुर लिखे, जहां से वह ताल्लुक रखता है। या फिर इस तरह के नियम बनने चाहिए कि प्रेस लिखा स्टीकर अपने पत्रकारों के लिए संस्थान ही जारी करें। इससे सड़क पर प्रेस स्टीकर की अराजकता कम होगी। इसी प्रकार अपने व्यक्तिगत इस्तेमाल के लिए खरीदी गई गाड़ी पर प्रेस पुलिस का स्टीकर लगा रहा है? तो यह समझने की बात है कि इसके पीछे उसका क्या उद्देश्य हो सकता है? इस तरह की स्टीकर बाजी पर वास्तव में कुछ नीति बननी चाहिए।
Atul sethi