होना तो यह चाहिए की स्मार्ट सिटी बिलकुल नए कलेवर में नए स्थान पर बनाना चाहिए । जिसमे सभी सुविधाएँ बनाई जानी चाहिए क्योंकि पुराने शहर को कितना ही सवांरो वह कभी भी संवर नहीं पायेगा ? सबसे बड़ी बाधा है उद्योग धंधे ! व्यापार ! क़ानून व्यवस्था की स्थिति सुचारू रूप में हो? जब तक यह नहीं होगा किसी भी स्मार्ट और स्मार्ट से भी आगे कोई व्यवस्था हो तो भी फ़ैल हो जायेगी ? लेकिन सवाल यह है की केंद्र सरकार राज्य सरकार या फिर स्थानीय लोकप्रशासन का कम यही रह गया है की वह अपने कार्यों को भूल कर केवल कमाई के काम में लग जायँ? जिस प्रकार प्रधान मंत्री मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट भूमिअधिग्रहण का कानून बनाना था जो अब दफ़न हो चूका है शायद यह स्मार्ट सिटी का भी यही हाल होगा?
जो। सरकार(यानि अब तक की सरकारें ) आज तक पुरे देश को पिने का पानी । शौचालय की व्यवस्था, शिक्षा की व्यवस्था, रोजगार की व्यवस्था नहीं कर सकती उसे यह तो बताना ही होगा की व देश में 100 स्मार्ट सिटी किस के लिए और क्यों बनाना चाहती हैं ? क्या यह देश उस चाय वाले छौकरे की। सनक का शिकार होने जा रहा है जो सपने उसने स्टेशन पर चाय बेचते हुए देखे थे ? क्या यह उसी स्वयं सेवक का कट शार्ट का फार्मूला है जो उसने अपने कपडे धोते हुए अपने कुर्ते की बांह आधी काट दी थी जो आज एक फैशन बन गया है ? इस लिए सरकार भी यह सोंचती है कि पुरे देश का विकास हो न भी हो कमसेकम सौ शहरो को इकाई मानकर विकास किया जाय तो शायद कोई आधी बाहं के कुर्ते के सामान फार्मूला फिट हो और फिर भी हिट हो जाए ? देश इतना बड़ा है की सनकी आइडियों और अदूरदर्शी अव्यवहारिक कार्यों से पीछे चला जायेगा आगे नहीं ? वैसे भी देश किसी की निजी जागीर नहीं है जो इस प्रकार के प्रयोग किये जायँ ?
इस लिए जिस देश का युवा वर्ग गावं में बस्ता ( रहता हो )है तो विकास शहर का क्यूँ ! लोगों को यह याद रखना चाहिए खासकर देश चलाने वाले नेताओं को क़ि इस देश की आजादी पाने के लिए गांधी ने गावों से ही अपनी शुरुआत की थी सबसे प्रमुख चर्खा ही था जिसको एक टूल मान कर उन्होंने गाँवों में जनजागरण का काम ही नहीं किया था बल्किन करोडो लोगों के तन ढकने और स्वदेशी की अवधारणा का आह्वान भी किया था । और समय आने पर आजादी भी पाई ! ये बात और है की कुछ लोगों को उनके द्वारा देश का बंटवारा गंवारा न था। जो बाद में उनकी हत्या का कारण भी बना ? इस लिए जब तक गाँव का विकास करके उनको आत्मनिर्भर नहीं बनाया जाएगा भारत का विकास कैसे होगा ? और कभी नहि होगा ?
वैसे हम इस स्मार्ट सिटीज़ की अवधारणा को भूमिअधिग्रहण पार्ट -2 भी कह सकते हैं ? क्योंकि जब सारे नहीं देश के कुलजमा 100 शहरों का कथित तौर पर हुलिया तो बदलेगा ही तो फिर भला गाँव के लोग पीछे क्योंकर रहेंगे अपना खेत खलियान बेच कर स्वाभाविक रूप शहर की ओर ही भागेगा ? और फिर सरकार और पूंजीपतियों की “पौ बारह”बिना अधिग्रहण के ही सस्ती जमीन मिल जायेगी ? इसलिए अगर सरकारें ईमानदारी से गाँव के कल्याण की बात ही नहीं मूर्त रूप से व्यवहारिक होकर गाँव के विकास की बात करती है तो देश का किसान और। मजदूर वर्ग विकास के पथ पर दौड़ पड़ेगा ! बी
इस लिए अगर सरकार वास्तव में देश का विकास चाहती है तो उसे 100 स्मार्ट शहर नहीं देश के सभी गाँवों का विकास का प्रयास करना होगा उसमे कठिनाई भी नहीं होगी तहसील को इकाई मान कर भी अगर गाँवों में पेयजल;सभी की लिए शौचालय ,सड़कें , यातायात, शिक्षा, और परिवहन की सुविधा दें तो रोजगार गावँ स्वयं पैदा कर सकता है क्योंकि अब तक यात्रा में हमने देखा था की एक ही गाँव में सभी जाती के लोग मिलजुलकर रहते थे ! नाइ, धोबी, तेली, बनिया, ब्राह्मण, दरजी, मोची , बढ़ई, लुहार , धुना जुलाहा आदी आदी ? प्रधान मंत्री ने प्रत्येक सांसद से यह अपेक्षा की थी कि सभी सांसद एक गावँ गोद ले और उसका विकास अपनी छत्र छाया में कराएं ! लेकिन प्रधानमन्त्री के आह्वान के पश्चात भी अभी तक उनकी ही पार्टी के बहुत से सदस्यों ने अपने क्षेत्र के एक गाँव को आदर्श गाँव बनाने की घोषणा तक नहीं की है और अगर की भी है तो अभी कोई कार्य नहीं हुआ है ?
वास्तव में लगता तो ऐसा है कि जनप्रतिनिधियों का काम जनता की भलाई नहीं बल्कि अपने विकास की ओर अधिक ध्यान होता है ? नहीं तो क्या कारण है की। 543 लोक सभा के सदस्य 245 राज्य सभा के सादस्यों को 1984 से अपने क्षेत्र का विकास करने के लिए 5 करोड़ रुपया प्रतिवर्ष मिलता है ! इसके अतिरिक्त विधान सभाओं और विधान परिषद् के सदस्यों को भी प्रदेश सरकारों के द्वारा विकास निधि आवंटित की जाती है ? इस प्रकार हजारों जनप्रतिनिधि को अपने अपने क्षेत्रों को विकसित करने की सुविधा है , तो फिर यह विचार करने और चिंतन करने का धीर गंभीर मामला है की देश का विकास क्यों नहीं हो रहा है जबकि जनप्रतिनिधि , सड़कछाप नेता से दबंग और दबंग से माननीय सम्मानित नेता फटेहाल से करोड़पति नहीं अरबपति बन जाते है ? इसका कारण क्या है ? कौन बताएगा हम तो सवाल ही कर सकते है ं और ताल ठोक कर कर रहे हैं ?
S.PSingh Meerut