यूँ कहने को तो हमारा लोकतंत्र 68 वर्ष का प्रौढ़ हो गया है लेकिनसंविधान की आत्मा के अनुसार न तो हम हमारे शासकों का चयन कर पाये और न ही कोई चयनित व्यक्ति अपने आप को इस काबिल बना पाया की वह अपने आप को सच्चे अर्थों में जनता का सेवक कह सके ? यूँ कोशिस बहुत से लोग करते रहे हैं और अब भी कर रहे है लेकिन परिणाम वही ढाक के तीन पात क्योंकि व्यक्ति होने के नाते उसकी स्थिति ठीक वैसी ही बन जाती है जैस हर े मिर्ची में एक डंठल होता है ! और व्यक्ति चाह कर भी अपने आप को सांसारिक बुराइयों से दूर नहीं हो पाता ? और यही इस देश का दुर्भाग्य भी है कि जहां भारत एक ओर आत्मनिर्भरता की ओर छलांग लगा रहा है वही समाज में सामंतवादी प्रवर्ति चरम पर है अधिक संम्पन्न वर्ग निर्धन और गरीब लोगों के मुहँ से खाना छीन रहा है सरकारें बेबस हैं ! जब हम देखते हैं की बाजार से दाले गायब हो गई है सरकार विदेश से 10 हजार टन दाल आयात कर रही क्योंकि दाल के भाव 50 -60 रुपये के स्थान पर 200 रुपये प्रति किलो से भी ऊपर हो गए है ? लेकिन तभी भारत सरकार के वित्त मंत्री। घोषणा करते है की सरकार ने चार राज्यों में गोदामों में अवैध तरीके से छुपा कर राखी 50 हजार टन दाल जब्त की है? क्या यह घोर आश्चर्य का विषय नहीं है की खाद्य आपूर्ति मंत्री के स्थान पर वित्त मंत्री खाद्य विभाग की जिम्मेदारी निभा रहे हैं ! जबकि वित्तमंत्री की नाक के नीचे से दाल खरीदने के नाम पर बैंक आफ बड़ोदा की दिल्ली ब्रांच से 6100 करोड़ रुपया विदेश भेज दिया गया था ? क्या यह किसी बड़े घोटाले की साजिश तो नहीं है ! की पहले पैसा बहार भेज दिया गया और आयात के नाम पर गोदामों में छुपा कर रखी गई दाल बहार निकल ली जाती ? वित्त मंत्री को इस बेस्ट का खुलासा कतन ही होगा ?
बीजेपी के लोगों को अभी भी यह समझ में नहीं आया की सत्ता मिलने पर अहंकार नहीं संयम की जरूरत होती है ! या वैसे ही हो रहा है जैसे ”कनक कनक ते सौ गूणी मादकता अधिकाय ! ये खाये बौराये जग वो पाये बौराये !!
लीजिये खट्टर साहेब हरियाणा वाले बोल रहे हैं की हरियाणा के सोनीपत के पुलिस थाने में जो 15 वर्षीय लड़के की मौत हुई है उसने थाने में आत्म हत्या की थी ! लेकिन साथ ही कहते हैं ! उसके परिवार के व्यक्ति को सरकारी नौकरी दी जायगी तथा मुआवजा भी दिया जायेगा ! मुआवजा आखिर किस बात के लिए ? और नौकरी क्यों? अगर सरकार मुआवजा और नौकरी दे रही है तो साफ़ जाहिर है कि थाने में कुछ तो हुआ है ?
अब अपने सेवा निवृत जनरल साहेब की बात करते है ! उनका फौजी लिबास तो उतर चूका है लेकिन फौजी मिजाज अभी कुछ अधिक चढ़ गया है जैसे केरेला अगर नीम पर चढ़ जाता है तो और भी कडुआ हो जाता है ! इसी प्रकार सत्ता से जुड़ कर फौजी अकड़ कुछ अधिक तीखी हो गई है । जहां दलित बच्चे उन्हें कुत्ते नजर आते हैं । मीडिया वाले उन्हें वेश्या नजर आते है ? हाँ मारकाट जहां हो रही हो उन्हें सुकून मिलता है जैसे सीरिया में उन्होंने कहा था ! और किसी पडोसी देस के दूतावास में जाने से ग्लानि होती है
एक और है तीरंदाज गृह राज्य मंत्री जो बड़े फक्र से कहते है बीफ भी खता हूँ ! लेकिन उत्तर प्रदेश के लोगों से अधिक बैर रखते हैं उनकी नजर में उत्तर प्रदेस के लोग असहिष्णु और कानून तोड़ने में अधिक विश्वास रखते है ? शायद उनके ज्ञान में यह बात नहीं है की उत्तर प्रदेश की धरती एक पौराणिक ऐतिहासिक धार्मिक स्थान है जहां । महाभारत का युद्ध भी यहीं हुआ था कृष्ण ने कंस को भी मरा था राम का जन्म भी उत्तर प्रदेश में ही हुआ था तथा 1857 का क्रांति का बिगुल उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक नगर मेरठ से आरम्भ हुआ था ? इतना ही नहीं आज जिस कारन से वह गृह राज्य मंत्री बने है उस सत्ता की चाभी भी उत्तर प्रदेश ही है । जो व्यक्ति गौ मांस भक्षण करता हो हम उसे इंसान ही नहीं समझते इस लिए हम कीसी ऐसे व्यक्ति से माफ़ी मांगने के लिए भी नहीं कहेंगे जो इंसान ही न हो ?
एस. पी सिहं । मैरठ ।