मीडिया भी निपट गया बिहार में

ओम माथुर
ओम माथुर
बिहार चुनावों के नतीजों ने देश के मीडिया को भी कटघरे में ला खड़ा किया है। खासतौर,पर इलेक्ट्रोनिक मीडिया को। जिसकी साख और विश्वसनीयता वैसे भी लोगों में बहुत ज्यादा नहीं है। कई न्यूज चैनलों द्वारा कराए गए एक्जिट पोल में किसी ने महागठबंधन की सरकार बनने का पुर्वानुमान नहीं लगाया। सभी ने कांटे की टक्कर बताई। किसी ने दस-बीस सीटें एनडीए को ज्यादा बता दी,तो किसी ने इतनी ही सीटें महागठबंधन को। ताकि परिणाम किसी भी तरफ रहे,अपना तो इसी अंतर से अपनी इज्जत बचा लें। हां,एक चैनल ने जरूर गजब कर दिया,एनडीए को 150 सीटें परोस दी। लेकिन हुआ क्या,सबने देख लिया। महागठबंधन ने दो तिहाई बहुमत हासिल कर सभी चैनलों की नजरें झुका दी।
परिणाम वाले दिन तो इन चैनलों के एंकर की जल्दी व आपाधापी देखने लायक थी। मतदान शुरू होते ही जब सीटों के बहुत शुरूआती रूझान आने लगे,तो एक चैनल के एंकर ने कहा,एनडीए गठबंधन बिहार में जीत की ओर बढ़ रहा है। लोगों ने लालू यादव को सिरे से खारिज कर दिया है। उन्हें साथ लेने का नुकसान नितिश को भी उठाना पड़ रहा है। लेकिन दो घंटे बाद यही एंकर कह रहा था कि लालू ने साबित कर दिया कि बिहार की राजनीति के वो चैम्पियन है। एक एंकर चीख रहा था कि मोदी की छवि के सामने नितिश कुमार की सुशासन की छवि मटियामेट हो गई। दूसरे चैनल पर कहा जा रहा था मोदी-शाह की जोड़ी ने फिर साबित कर दिया कि चुनाव जीतने की उनकी रणनीति का कोई मुकाबला नहीं कर सकता। कुछ देर बात वही एंकर गंभीर आवाज से कह रहा था नितिश के सुशासन ने मोदी की आक्रामक व नकारात्मक प्रचार शैली को जमीन दिखा दी। तभी इन टीवी चैनलों पर भाजपा के प्रवक्ता भी प्रकट होकर जीत की गणित बताने लगे। तो उधर पटना में भाजपा दफ्तर के बाहर होली-दीवाली साथ मनाए जाने लगी। लेकिन थोड़ी देर बाद ही भाजपाई मुंह से गुलाल धो रहे थे और पटाखे छिपाते दिख रहे थे।
जो लोग आठ नवम्बर को सुबह दस बजे तक टीवी देख रहे थे,वो तो मान चुके थे कि बिहार में एनडीए गठबंधन की सरकार बन रही है। अब चैनल वाले महान पत्रकारों को ये ही नहीं मालूम की शुरूआती दौर में डाक मत पत्रों की गणना होती है और उसमें बढ़त कोई मायने नहीं रखती है। लेकिन जब हकीकत में ईवीएम खुली,तो भाजपाईयों के साथ ही इन एंकर के चेहरे की हवाइयां भी उड़ी हुई थी। भाई लोग,दिल्ली में भाजपा को अपने एक्जिट पोल में आराम से सत्ता दिला रहे थे। पार्टी स्कूटर पार्टी यानि दो सवारी यानि विधायकों पर सिमट गई। लेकिन फिर भी सबक नहीं लिया। बिहार में भी मोदी की खूब हवा बनाई। चैनलों पर उनकी सभी सभाओं का लाइव कवरेज हुआ। पूरे बिहार में रिपोर्टर फैला दिए। लेकिन उस मतदाता के मन को नहीं पढ़ सके,जो असली हीरो होता है और लालू की जातिगत गणित को हल नहीं कर पाए। आखिर ये रिपोर्टर भी तो बाहरी ही थे। दिल्ली सहित देश के दूसरे हिस्सों से बिहार भेजे गए थे। ठीक वैसे ही जैसे भाजपा ने बिहार चुनावों को बाहरी नेताओं,अमित शाह,अनंत कुमार,भूपेन्द्र यादव आदि के हवाले कर दिया था। तो जैसे भाजपा पिटी,वैसे ही मीडिया की भद पिटी। आखिर नितिश ने बाहरी बनाम बिहारी ही चुनाव का मुख्य मुद्दा बना दिया था।
ओम माथुर अजमेर 9351415379

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