sohanpal singhठेकेदार यानि कि सप्लायर ? आप कहोंगे की ये तो हम भी जानते हैं पर हम तो उस सप्लायर या ठेकेदार की बात नहीं कर रहे हैं जो दफ्तरों में स्कूल कालेजों में या कंपनियों में या सरकारों को मॉल सप्लाई करते है इनको तो सब जानते हैं ? हम तो आपको उन ठेकेदारों के विषय में बता रहे है जिनको न तो कोई ठेका देता है और ना कोई उनसे माल मांगता या सप्लाई करने को कहता है ! लेकिन वे फिर भी अपना सड़ा गला मॉल सप्लाई करने में पूरा जीवन ही लगा देते है ? ये समाज के वे स्वयंभू ठेकेदार हैं जो मान न मान मैं तेरा मेहमान वाली प्रवृति से लैस होते हैं ? और संविधान में वर्णित अभिव्यक्ति की सवतंत्रता के सहारे ये लोग कही मुस्लिम के ठेकेदार बनते है कहीं हिन्दू धर्म के ठेकेदार । कहीं मंदिर के ठेकेदार, कही मस्जिद मजार के ठेकेदार , कोई दलित के ठेकेदार, कोई काला धन वापस लाने का ठेकेदार, कोई भ्रष्टाचार से लड़ने का ठेकेदार, कोई कश्मीरियों का ठेकेदार कोई मुम्बई का और मराठियों का ठेकेदार, ?
आखिर 125 करोड़ भारत वासियों के ये गिनेचुने ठेकेदार जो कुल संख्या का एक प्रतिशत भी नहीं होंगे किसप्रकार जनता को बेवकूफ बना रहे है ? अभी कुछ दिन पहले हमने देखा की एक नोसिखिया 23 वर्ष का नौजवान जिसका नाम हार्दिक पटेल है उसने गुजरात के पाटीदारों को गोलबंद करके गुजरात की सरकार को ही चुनौती दे डाली ? जो होना था वही हुआ ? घाघ लोगो ने उस पर ही देश द्रोह का मुकदमा कायम करके जेल में भेज दिया है ? लेकिन उधर नासिक का निवासी रोज रोज सार्वजानिक मंच से कभी राम मंदिर, कभी गौ रक्षा, कभी आरक्षण , कभी स्त्रियों का अपमान कभी हिन्दू विवाह को कांट्रेक्ट मैरिज कहना समाज में सौहार्द को नष्ट करना लेकिन उस पर कोई देस द्रोह नहीं बनता ? आखिर क्यों ?