छह पागल कुत्तो को मारने मे ,मेरे मुल्क के सात शेर शहीद हो गये

शमेन्द्र जडवाल
शमेन्द्र जडवाल
…..सुप्रसिद्ध विचारक बेकन ने कहा भीहै– “मौन निद्रा के सामान है, क्योंकि वह ज्ञान को ताजा कर देता है।”
हमारे दमदार दिखते प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी जी आजकल मौन रहना ज्यादा पसंद करते हैं। यह बात अलग है की उनके विदेशों में हुए दौरों से उनके वहां बोलने पर खूब सराहना मिली। मगर यहाँ जैसे ‘व्रत’ ही
ले लिया है मौन रहने का। लोग चकित हैं। भाई यह क्या हो रहा है ? मंत्रियों पर लग रहे कीचड़ रूपी छीटों पर मौन ?
अभी हाल ही में अपनी पाकिस्तान यात्रा के – पश्चात तुरंत पठानकोट एयर बेस पर हो गए आतंकी हमले ने सभी को हिलाकर रख दिया है। सोशल – मीडिया पर तीन दिनों तक हो हल्ले और अपने ही सैनिकों को हुई मुठभेड़ के बाद अंत्येष्टि पर शहीद का दर्जा तो दे दिया लेकिन उनके जज्बे के लिए बिलखते परिवार जनों को कैसे देंगे भला सांत्वना ? ताजा – ख़बरों के मुताबिक़ अब सरकार ने पाकिस्तान को 72 घंटे का अल्टीमेटम दिया है।कुछ सबूत भी सौपे गयेहै।
पाक का कहना है देख रहे हैं। बस !
सोशल मीडिया पर उड़ रही भद्द और सवालो का जवाब तो नही मिला लेकिन मोदी जी ने अपने मंत्रियो को जरुर सोशलमीडिया पर गौर फरमाने का सन्देश देते कहा गया है, जनता से जुड़ें ।
पठानकोट एयरबेस में घुसने का साहस जुटाए आतंकियों का 72 घंटों से अधिक खोजबीन और – निपटान से यह तो साफ है कि, हमारे रक्षक चौकस रहे
किन्तु उनकी जागरूकता पूरी तरह काम में नहीं आ सकी।चूँकि दो आतंकियों की खोजबीन होती ही रही।
पूर्व में दिए गए ख़ुफ़िया अलर्ट की सुचना ,बेकार हीं सिद्ध हुई ,चूंकि अलर्ट नहीं रह सके ? ये सब ऐसे कुज कारण है जिनसे हमे सबक लेना चाहिये। आतंकी तो आते ही मरने और मारने के लिए है। उनका कोई धर्म सिद्धान्त अथवा नाति तो है नही! ऊपर से लापरवाही की वजह से हमें अपने जांबाज सैनिको की बली देनी पड़ जाती है । यह बेवजह का दण्ड नही है ? उनके परिजनों के लिए भला यह कोनसी बात हुई कि, आप बाहर तो शेर बनकर दहाड़ते है और घर की सुध ही – नहीं ?
देश के रक्षामंत्री , ग्रहमंत्रि और वित्त मंत्री के बयानों ही में लोगों को विरोधाभास ,उधर प्रधान्मंत्री जी चुप्पी साधे ?
शहीद हुए हमारे बहाद्दुर सैनिको के परिजनो का दुख तो इन पंक्तियो से ही उजागर है जहाँ कहा गया है — “उन आँखों की दो बूँदो से , सातों समंदर हारे होंगे।
जब मेहन्दीवाले हाथों ने, मंगलसूत्र उतारे होंगे।। एक और चीत्कार — ” साथी घर जाकर मत कहना, संकेतों में बतला देना,यदि हाल मेरी माता पूछे तो , जलता दीप बुझा देना।। कितनै मार्मिक क्षण है।देश की रक्षा में जूटे इन शहीदो के लिए और हम असहाय से सिर्फ देख भर रहे हैं !
अभी ताजा ही जयपुर में आयोजित पं झाबर मल व्याख्यान माला मे पत्रकारो ने हिस्सा लिया है। अपने उद्बोधन मौके पर , द ट्रिब्यून के प्रधान संपादक हरीश खरे ने साफ़ किया की अब पत्रकारिता को राजनेता और व्यापारी चला रहे हैं।इनके बोल सही है कोइ दो राय नहीं है।आज बड़े उद्योग घराने मीडिया घरों का संचालन ही नही ,नेताऔ की भागीदारी भी बढ रही है ? उन्होने आगे कहा कि, देश मे अखबार पर अब भी लोगो का रामायण और गीता जैसा विश्वास कायम है।(शुक्र है )
सोशल मीडिया मै तो इस आतंकी भिडन्त पर यहंातक कह दिया गया -” प्रधानमन्त्री जी मौन किसलिए ,यह कैसी कूटनीति है?” “पाकिस्तान को धूल क्यो नही चटा देते।” चुनावों से पहले की दहाड़ कहां खो गई आदि आदि और न जाने क्या क्या ?इस मौन से भी क्या होनै वाला है बेशक वे अपनी आत्म शक्ति बढ़ाते रहे।
देश में महंगाई बढ़ गई है,राजनेता एक दूजे को नीचा दिखाने ही में मस्त मोला नजर आए हैं। टैक्स पर टैक्स बढा भ्रष्टाचार रुक नहीं रहा । जनता बेचारी करे भी तो – क्या?
एक और ट्वीट की बानगी देखिए – ” छ पागल कुत्तों को मारने में मेरे मुल्क के सात शेर शहीद हो – गए।” आगे किसी ने
कहा है – “लहू देकर तिरगे की …बुलन्दी को संवारा है, फरिश्ते हो तुम वतन के तुम्है सजदा हमारा है।।
घोर लापरवाही पर मेरा ट्वीट है –” अब बैठकें करो या एयर बेस के दौरे, जाने वाले तो चले गये चमन छोड़ कर ।। एक और ट्वीट की बानगी देखिये -” 56 इंच का सीना ,67 घंटे का आपरेशन ।। एक नजारा और — जो पहुँच गए है मंजिल पर ,उनको तो नहीं है शाने सफ़र। दो कदम अभी जो चले नहीं, रफ़्तार की बातें करते हैं ।” और भी बहुत कुछ, पर अभी इतना ही… देखते है मौन से आत्म ज्ञान का विकास किस
करवट बैठता है देश के लिए ?

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