-बाबूलाल नागा- सरकार द्वारा गांव के गरीब व वंचित आमजन की सहायता के लिए अनेक योजनाएं चलाई जाती रही हैं। पर सरकारी योजनाओं का लाभ इनके लिए अभी भी कोसों दूर है। राजस्थान के लोगों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए निकाली जा रही जवाबदेह यात्रा में यह सच सामने आया है। यह यात्रा जिन-जिन जिलों में पहुंच रही है, वहां सामाजिक सुरक्षा एवं जन सुविधाओं से संबंधित ढेरों शिकायतें प्राप्त हो रही हैं। अब तक इस यात्रा में 4800 से अधिक शिकायतें प्राप्त की जा चुकी हैं। सबसे अधिक शिकायतें 1068 उदयपुर जिले से प्राप्त हुई हैं।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में एक सौ दिवसीय जवाबदेही यात्रा निकाली जा रही है। यह जनयात्रा पूरे प्रदेश में विभिन्न जन मुद्दों के प्रति सरकार की जवाबदेही तय करने के लिए जन अभियान का काम कर रही है। ताकि महत्वाकांक्षी कानूनों/नीतियों के प्रभावी क्रियांवयन, सुनवाई एवं कार्यवाही को लेकर जवाबदेही स्थापित हो सके। 1 दिसंबर 2015 को जयपुर से इस जवाबदेही यात्रा की शुरुआत हुई। सूचना एवं रोजगार का अधिकार अभियान की ओर से निकाली जा रही इस जन यात्रा का मुख्य उद्देश्य नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों के प्रति सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित करना है। इन सौ दिनों के दौरान यह यात्रा प्रदेश के सभी 33 जिलों के साथ-साथ करीब 100 से अधिक ब्लॉकों से गुजरेगी। इस यात्रा को प्रदेश के लगभग 90 से अधिक जनसंगठनों , बुद्धिजीवियों, राज्य और देश के जन सरोकारों के प्रति जागरूक गायक, नाटककार, चित्रकार आदि का सहयोग मिल रहा है। जवाबदेह यात्रा अब तक जयपुर, अजमेर, राजसमंद, पाली, जालौर, सिरोही, उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ, चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा व बूंदी जिलों का दौरा कर चुकी है। यात्रा के दौरान जहां जनता से सामाजिक सुरक्षा एवं जन सुविधाओं से संबंधित शिकायतें ली जा रही हैं, वही राजस्थान संपर्क पोर्टल पर भी दर्ज की जा रही है। अब तक 2468 शिकायतों को संपर्क पोर्टल पर दर्ज किया जा चुका है। यह यात्रा लोगों को शिक्षा का अधिकार, नरेगा कार्य, स्थानीय स्वशासन, खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य, महिला अधिकार, आदिवासी अधिकार, खनिज संपदा, सूचना का अधिकार, पेंशन व श्रम एवं रोजगार योजनाओं सहित कई योजनाओं के बारे में जागरूक कर रही हैं। यात्रा का समापन नौ मार्च को जयपुर में होगा।
यह यात्रा जिन जिलों में जा रही है वहां जवाबदेही मेला लगाया जा रहा है। मेले में दूर दराज के गांवों से लोग पंेशन, राशन, पानी, शौचालय,स्वास्थ्य, राशनकार्ड, नरेगा, विधवा पुत्री विवाह आदि की शिकायतें लेकर पहुंच रहे हैं। अजमेर में लगे जवाबदही मेले में आई टिकावाड़ा तहसील की मोहनी देवी ने बताया कि उसने मई 2015 माह में 24 दिन नरेगा में काम किया था जिसका भुगतान अभी तक नहीं हुआ। सिलोरा ग्राम पंचायत के ग्रामवासियों ने बताया कि उनकी पंचायत में नरेगा काम बंद है। अराई तहसील की छोटी देवी ने बताया कि उसकी शादी 8 फरवरी 2015 को हुई थी। उसने समाज कल्याण बोर्ड में आवेदन किया था पर अभी तक अनुदान राशि नहीं मिली है। छोटा नरैना की लालपुरी ने बताया कि उसने शौचालय तो बना लिया है पर शौचालय की राशि अभी तक नहीं मिली है। जालौर के आहोर कस्बे के प्रवीण रामवात ने बताया कि उनके यहां कई लोगों ने शौचालयों का निर्माण किया था पर 4-5 महीनों के बाद भी उन्हें सरकार द्वारा दिए जाने वाली सहायता/ प्रोत्साहन राशि नहीं मिली है। जालौर के भीनमाल की मेथी बाई ने बताया कि वह पांच साल से लकवाग्रस्त है। उसकी वृद्धावस्था पेंशन पिछले एक साल से बंद है। भीनमाल के ही एक विकलांग दंपति ने बताया कि उन्हें विकलांग पेंशन तो मिल रही है पर उन्हें पालनहार योजना का लाभ नहीं मिल रहा। सिरोही जिले के आबू रोड के गरासिया समुदाय के लोगों ने बताया कि उन्हें यहां राशन का गेहूं नियमित रूप से नहीं दिया जाता।
राशन डीलर बिना आधार नंबर बताए और बैंक खाता खुलाए राशन नहीं देता। पिडंवाडा तहसील के मफत लाल ने बताया कि वे बरसों से पैतृक भूमि के पट्टे की मांग कर रहे हैं। प्रशासन गांवों के संग अभियान, सरकार आपके द्वारा अभियान के दौरान आयोजित शिविरों में भी पट्टे के लिए अर्जियां दीं। इसके बाद भी आज तक पट्टा जारी नहीं हुआ। भावरी गांव की गीता देवी को पिछले 5 माह से पेंशन नहीं मिल रही है। भावरी के कई लोगों के बीपीएल राशन कार्ड बने हुए हैं पर पिछले एक साल से राशन नहीं मिल रहा। उदयपुर के झाड़ोल के राजू गरासिया ने बताया कि उन्हें पिछले कई महीनों से राशन नहीं मिला है। यहां एक परिवार के 9 लोगों को हर माह सिर्फ 10 किलो राशन ही दिया जा रहा है जबकि नियमानुसार 45 किलो राशनमिलना चाहिए। बूूंदी जिले के डाबी क्षेत्र में खनन होता है जिसकी वजह से लोगों को गंभीर रोग सिलकोसिस हो जाता है जिसके लिए पीड़ित को एक लाख रुपए का मुआवजा दिया जाता है। इस रोग से मृत्यु होने पर तीन लाख रुपए का मुआवजा दिया जाता है। इस इलाके के पीड़ितों ने बताया कि उन्हें मुआवजा नहीं मिल रहा है। कई लोगों को तो जीते जी मुआवजा मिलता ही नहीं। तब तक उनकी मृत्यु हो जाती है। यात्रा के दौरान सबसे ज्यादा शिकायतें/ अनियमितताएं राशन से संबंधित दर्ज कराई गई हैं। अनके ऐसे गरीब लोग राशन से वंचित कर दिए गए हैं जो निश्चित रूप से लाभार्थी होने चाहिए। इसके साथ ही अनेक शिकायतें जैसे-दो माह में एक बार राशन मिलने की, कम यूनिट को राशन मिलने की और कम राशन मिलने की प्राप्त हुई हैं।
बहरहाल, यह जवाबदेही यात्रा एक समग्र एवं ‘सशक्त जवाबदेही कानून ’ बनाने की मांग कर रही है। यात्रा से जुड़े तमाम जन संगठनों की मांग है कि जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के स्पष्ट जॉब चार्ट बनें। निर्धारित समय पर काम नहीं करने पर सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों पर जुर्माना लगे। यदि लोगों का काम निर्धारित समय में नहीं हो तो एवज में जनता को मुआवजा मिले। भ्रष्टाचार करने व रिश्वत मांगने पर स्वतंत्र एजेंसी द्वारा जांच की जाए और दोषी पाए जाने पर उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर जेल भेजा जाए। (विविधा फीचर्स)
