सब का साथ, गरीब / दलित का सत्यानास

sohanpal singh
sohanpal singh
हमारे लोकप्रिय प्रधान मंत्री जब अपनी प्रधानमंत्री पद की दावे दारी के दौर में नगर नगर घूम घूम कर रैलियां पर रैलियां करके एक नारा लगाते थे “सब का साथ सबका विकास ” और बदले में भक्तगण “मोदी मोदी ” चिल्लाते थे ! फिर कभी अपने आपको चायवाले का पुत्र बताते थे कभी पिछड़ी जाति का होने का रोना रोते थे । कभी भ्रष्ठाचार को समाप्त करने , महंगाई को समाप्त करने का संकल्प लेते कभी विदेशो से कला धन वपस लाने प्रत्येक नागरिक को 15 लाख रुपये देने का सपना दिखाते और सीमाओं पर मर रहे सैनिकों के एक के बदले दुसमन के दस सैनिकों का सर कलम करने का वायदा करते हुए । अंतोगत्वा 2014 में चुनाव भी जीत ही गए और 26 मई 2014 प्रधान मंत्री भी बन ही गए । प्रधान मंत्री बनने के बाद भी बहुत सक्रियता से सभी योजनाओं को बदलने और नै योजनाओं को कार्यरूप देने में बहुत ही समय लगाने के बाद परिणाम सबके सामने ही हैं

अब जैसा बड़बोले पैन का असर भी होता है वैसा ही हुआ भी है
1. भ्रष्ठाचार अपने स्थान पर अडिग है
2. महंगाई महंगाई अपने चरम पर है , दाल रोटी पर गुजर
बसर करने वाला कामगार और माध्यम वर्ग
महंगाई की मार से परेशान है !

3. काले धन की वापसी काले धन की वापसी में कोई प्रगति नहीं है ?
मामला उच्चतम न्यायालय के देख रेख में है
हाँ डिस्क्लोजर के नाम पर 4000 करोड़
घोषित किया गया जिस पर 2400 करोड़ का
कर वसूला गया लेकिन सबसे बड़ा हास्यास्पद
यह है की उसी अवधि में देश से 6000 करोड़
का कला धन वित्त मंत्रालय की नाक के निचे से
दिल्ली के एक बैंक के द्वारा विदेशो में भेजा
दिया गया ? सरकार किंतव्यमूढ़ दर्शक बनी
देख रही है ?
4. 15 लाख प्रत्येक व्यक्ति। आज तक किसी को को 15 पैसे भी नहीं
मिले ? उलटे जनधन योजना के अंतर्गत
सरकार ने गरीबों को 5000 रुपये का कर्ज क
नाम पर गरीबों से 30 हजार करोड़ रुपया
जमा करा लिया है ?

5. सीमा पर गोल बारी। ।। सीमा पर आज भी गोलाबारी जारी है बल्कि
आतंकवादियों द्वारा सशस्त्र घुसपैठ करने के
बाद आतंक का नंगा तांडव भी हो रहा है !
गुरदासपुर और पठान कोट की घट्ना अभी
तजि हैं ! एक के बदले दस सर लाना तो दूर
खुद अपना शीश झुका कर हाथ बांधे लाहौर
पहुँच गए और उधर से बदले में भेंट स्वरुप
पठान कोट में हमारे एक अधिकारी सहित
सात जवानो को अपने प्राण न्योछावर करने
पड़े?

लेकिन बीजेपी के सत्ता सँभालने के बाद जबसे देश की एक विचित्र छवि बन रही है जिसमे ऊपर वर्णित मुद्दों से भटक का बीजेपी और उसके तमाम संगी साथी केवल हिंदूतत्व का राग अलापते रहते है सबसे शीर्ष पर है आर .एस. एस. के मोहन भगवत जी उसके बाद नम्बर तो कितने ही है प्रवीण तोगड़िया, साध्वी निरंजन ज्योति, साध्वी प्राची, गिरिराज सिंह, शाक्षी महाराज, आदित्य नाथ महंत , लेकिन प्रधान मंत्री इन संगी साथियों पर नियंत्रण करने के बजाय कहते हैं सरकार कि इच्छा सब का साथ सबका विकास , ऐसा कैसे संभव होगा प्रधान मंत्री जनता को यह विश्वास दिलाने में अभी तक कामयाब नहीं हैं? हो सकता है प्रधान मंत्री सबका साथ तो। चाहते है परंतु विकास केवल गिने चुने हुए लोगों का ही करना चाहते हैं ?

और इस विकास की रेस में गरीब , पिछड़ा और दलित सबसे नीचे की लाइन में खड़ा है , जो स्मार्ट सिटी, मेकिंग इंडिया, स्टार्ट अप इंडिया, स्पीड ट्रेन, बुलैट ट्रेन , इन अंग्रेजियत भरे नामो को जानता भी नहीं और जानना भी नहीं चाहता । उसे केवल दो टाइम की रोटी और एक झोपडी चाहिए सर छुपाने के लिए और उसके लिए उसके दो हाथ और शारीर मशीन की तरह काम करने को तैयार रहता है ?

सबसे बड़ा सवाल , जिस दलित और पिछड़े को भारतीय संविधान ने संरक्षण दिया है सैंकड़ो वर्षो के अत्याचारों से उबरने के लिए लेकिन वर्तमान सरकार के मंत्रीगण छात्र राजनीती अपनी पार्टी की ताकत बढ़ाने की जुगत में प्रतिभावान दलित छात्रों का उत्पीड़न करने से बाज नहीं आ रहे है.। हैदराबाद का रोहित वेमुला आत्महत्या कांड इसका ज्वलंत उदहारण है । प्रधान मंत्री नीरो की भांति बांसुरी तो नहीं बजा रहे बल्कि अपनी शिक्षा मंत्री का पूरा बचाव कर रहे है जिसने एक बेगुनाह छात्र को देश द्रोही ठराहने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया जिस कारण रोहित को आत्महत्या को मजबूर होना पड़ा ?

इस लिए मोदी सरकार का नारा होना चाहिए ” सब का साथ अपना विकास ” और बाकी ढकोसला बंद करके अपना और अपनी पार्टी का विकास करें जनता 2019 में अपने आप सबक सिखा देगी?

एस. पी. सिंह, मेरठ।

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