हम आपको एक किस्सा सुनाते है ! एक बार एक बारात जा रही थी तो राज अकबर ने अपने नौ रत्नों से कहा की पता करो यह कितने मन की बरात है? नौ में से आठ मंत्रियों ने बरात केलोगों की संख्या , घोडा गाड़ी , सामान के वजन अंदाज लगा कर अकबर को किसी 100 मन की किसी 300 मन की किसी 500 मन की ( ,नोट उस समय किलो नहीं सेर, धडी और मन का वजन होता था 40 सेर का एक मन ) ,सबसे अंत में बीरबल का नंबर आया तो ने बताया की जहाँपना बारात केवल तीन मन की है । सारे दरबारी आश्चर्यचकित हो गए अकबर ने पूंछा , बीरबल वो कैसे ? बीरबल ने जवाब दिया हुजूर , त्तीन मन की इसलिए कि एक मन वर का कि उसे दुल्हन अच्छी सी मिले ? दूसरा मन बाप का कि उसे दहेज़ अच्छा भला मिले ? तीसरा मन बरातियों का कि उन्हें खाना पीना अच्छा सा मिले ? इस प्रकार तीन मन की बरात हुई ?
लेकिन पिछले 20 माह में हमारे प्रधान मंत्री जी ने 16 बार अपने मन की बात इस प्रकार अपने गले से ऊगली है जैसे सुबह सुबह गले में ऊँगली डाल कर गला साफ़ करते है जहां से खखार के अतिरिक्त कुछ नहीं निकलता ? इस लिए हम तो अब तक नहीं समझ पाये की वो कितने मन की बात करते है ? गरीब के मन में झांक कर उसकी बात करते हैं या व्यापरी हितो के मनकी बात होती है कि हिन्दू हितो को साधने की बात होती है अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के विस्तार की बात मन में होती है ? अडानी अम्बानी के मन की बात होती है ? पार्टी में उग्र हिंदूवादी संरक्षकों की बात होती है ? या अपने आपको इतिहास में दर्ज करने की बात मन में होती है ? इस दो नाव की सवारी से छुटकारे की बात मन में होती है आर एस एस का हिंदुत्व और हिन्दू और संविधान का सैकुलर वाद ? या सपने आप को विश्व नेता की श्रेणी में स्थापित करने की विदेश भ्रमण का चाव ?
इसलिए हम तो चाहते है इस “मन” की बात के स्थान पर अगर प्रधान मंत्री जी देस वासियों के हित की बात अगर एक किलो के दिल और 6 इंच के दिमाग से करे तो सब का साथ सब के विकास का मन्त्र जो उन्होंने चुनाव के समय फूंका था किसी प्रकार पूरा हो सकता है ! क्योंकि जिन विकास की बात के लिए वे दिग्भर्मित हैं और रोज रोज नए विकल्पों की घोषणा किया करते है उसके स्थान पर पहले से चल रही योजनाओं को ही सुचारू रूप से नियोजित करे तो देश का कल्याण हो सकता है ? केवल मन की बात से किसी गरीब का पेट नहीं भर सकता ?
S.P.Singh. Meerut