एक ओर बेईमान टेक्स चोरों को राहत अपनी छुपाई गईआय को घोषित करो 45 प्रतिशत टैक्स देकर मौज करो ? दूसरी और सरकारी कर्मचारी जो हर माह बून्द बून्द जोड़ कर पी एफ में पैसा जमा कराता है अपने बुढ़ापे और बच्चों के भविष्य के लिए उसको पी ऍफ़ से पैसा निकलने पर 60 प्रतिशत रकम पर कर देना होगा ? जो की एक बेईमानी भरा कदम है ? कानून का उपहास तो है ही सरकारी कर्मचारियों के साथ भद्दा मजाक भी है ? क्योंकि PF भविष्य निधि कानून सरकारी कर्मचारियों को उनके पैसे को सरकार द्वारा रंरक्षित और सुरक्षित रखने की गारंटी भी देता है , इस लिए सरकार को पिछले दरवाजे से उस रकम पर डाका डालने से बाज आना चाहिए ?
इसलिए ऐसा लगता है की यह सरकार, गरीब मजदूर, दलित, शोषित, वर्ग के प्रति दुश्मन की छवि तो पहले से ही बन रही है , अब सरकारी कर्मचारियों की भी दुश्मन हो गई है ? अतः बजट में की गई दमनकारी कदम को पीछे खीचने में ही भला है ? अन्यथा सरकार का यह कदम 1975 के आपात काल की याद दिला देगा जब जबरन नसबंदी के नाम पर सरकारी कर्मचारियों को भी प्रताडित किया गया था । कैसे होगा सब का साथ सबका विकास ? बजट चीख चीख कर कह रहा है को इसमें पूंजीपतियों और व्यापारियों का भरपूर प्रकार ध्यान रखा गया है ? क्या यह बजट में घोषणा करने की जरूरत थी कि अब व्यापारिक प्रतिष्ठान सप्ताह में सात दिन व्यापर कर सकेंगे कोई अवकास नहीं होगा ? क्यों कामगारों नौकरों का क्या होगा ?
एस पी सिंह , मेरठ ।