sohanpal singhवर्ष 1857 को क्रांति का वर्ष कहा जाता है ! हाँ वास्तव में अलग अलग लड़ते हुये आजादी की कड़ी जद्दो जहद के बावजूद दिल्ली केअंतिम बादशाह बहादुर शाह जफ़र के नेतृत्व में, उत्तर प्रदेस मेरठ से सशस्त्र क्रांति की चिंगारी दिल्ली की सीमा में पहुँच कर समाप्त ही हो गई या अंग्रेजों के द्वारा कुचल दी गई ! लेकिन वास्तव में आग बुझी नहीं थी विभिन्न स्तरों पर जल रही थी जिसको गांधी जी ने एक नया रूप दिया (हो सकता है कुछ लोगो को यह स्वीकार न हो ) परंतु फिर भी अंग्रेजों को अंतिम रूप से इस देश से विदा होना ही पड़ा ! अंतोगत्वा 15 अगस्त 1947को अंग्रेज इस देश से बिदा हो ही गए ? लेकिन जाते जाते भारत को वो जख्म दे गए जो भारत माँ के शीश में आज भी कसक रहा है ? मुस्लिम लीग के कारन भारत का विभाजन धर्म के आधार पर ही हुआ और जिन मुस्लिमों को पाकिस्तान में जाना था वो चले गए अपने पाकिस्तान में लेकिन इस बटवारे में जिन मुस्लिमों ने भारत माँ को ही अपनी माँ समझा वे भारत में ही रह गए और जिनको जिन्ना का पाकिस्तान चाहिए था वे सब पाकिस्तान चले गए ! इस लिए कुछ दक्षिण पंथी लोग भारत में रह रह रहे कुछ लोगों को अगर अब पाकिस्तान जाने की सलाह देतें हैं जो एक तरह से भारत माँ का अपमान ही करते हैं , क्योंकि उन्होंने अविभाजित भारत में जन्म लिया था उस कारण से वे स्वयं ही भारत माँ की संतान हुए और स्वतंत्रता के बाद जन्म लेने वाले स्वतः ही भारत की संतान हो जाते है ,।
भारत के हिस्से में आया छिन्न भिन्न भारत जिसमे 560 से भी अधिक छोटो बड़ी रियासते ( राज्य) थे जिन्हें अंग्रेज देश छोड़ते समस्या ही आजाद कर गए थे जिसमे जम्मू कश्मीर भी सामिल है यानिअंग्रेज रायता फैला कर गए थे , जहाँ पाकिस्तान एक इस्लामिक देश बना भारत ने सेकुलर स्टेट के रूप में अपने को स्थापित किया जिसमें, हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, पारसी, जैन एवं अनेक धर्मानुलम्बियों को अपने अपने धर्म के अनुसार जीवन जीने का अधिकार संविधान ने दिया ? इसलिये अगर किसी कश्मीरी को यह लगता है भारत उनकी माँ नहीं है सौतेली मां है तो उन्हें पाकिस्तान में चले जाना चाहिए था ? क्योंकि बटवारा ही धर्म के आधार पर हुआ था ? भारत माँ केवल माँ ही है जिसके बच्चे अनेक धर्म और जति के हैं और सुख पूर्वक अपना जीवन यापन कर रहे हैं ?
इसलिए भारत न तो केवल दक्षिण पंथी विचार धारा के लोगों की सम्पति है और न ही ऐसा सोचने वाले कुछ लोग अकेले भारत माँ की संतान है यह सोंच फासीवादी धारणा के अतिरिक्त और कुछ नहीं ? लोकतंत्र का मूल मन्त्र ही सहअस्तित्व की भावना को प्रेरित करता है ! इस लिए व्यक्ति व्यक्ति में विभेद करना और घृणा फैलाना भारत माँ का कोई लाल तो कर नहीं सकता केवल । इसलिए माँ केवल माँ होती है ?