sohanpal singhभाई हमें भी भौत दुःख होता है जब हमारे देश के प्रधान जी अपने मन के दुःख को सार्वजानिक रूप में संसद में व्यक्त करते है की ये लोग ( कौन लोग हैं आप जानते है ) हीन भावना से ग्रसित होकर यह सोंचते हैं कि मोदी प्रधान मंत्री कैसे बन गया ? इसी लिए संसद को चलने नहीं दे रहे हैं और बहुत से सम्मानित प्रतिभावान सांसदों को बोलने और अपने क्षेत्रों की समस्याओं को उठाने का मौका भी नहीं दे रहे हैं ! हमें प्रधान मंत्री जी का दुःख समझमे आ रहा और दीखता भी है ? क्योंकि देश के विपरीत, विदेशों में प्रधान मंत्री की जो उज्ज्वल छवि बन चुकी है उस पर भी कहीं न कहीं प्रश्न चिन्ह लग रहा है ? संसद चले या न चले सरकार को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता ? क्योंकि इसमें विपक्ष का असहयोग जहाँ एक बड़ा कारण हो सकता है वहीं प्रधान मंत्री और उनके मंत्रियों और यहाँ तक कुछ भगवा धारी सांसदों की बॉडी लैंग्वेज से ऐसा ही लगता है की पार्टी भी कांग्रेस को कोई भाव देना ही नहीं चाहती ? लेकिन अगर संसद नहीं चल रही है तो इसमें इतिहास का भी दोष है क्योंकि इतिहास अपने आपको दोहराता है ? अब अगर 15 वीं लोकसभा की बैठकों और काम काज का ब्यौरा देखें तो उसमे जब बीजेपी विपक्ष में थी तो उस समय संसद में केवल 60 प्रतिशत ही काम हो पाया 40 प्रतिशत काम काज नहीं हो सका था इसलिए अब अगर संसद बाधित हो रही है और कांग्रेस विपक्ष में है तो इसमें किसी भी पार्टी या व्यक्ति का कोई दोष नहीं है दोषी तो इतिहास है ? जो अपने अतीत को भूलता नहीं है ?
इसलिए आदरणीय प्रधान मंत्री ने , जहाँ बहुत बड़ी बड़ी राजनितिक किताबे पढ़ी लिखी होंगी अर्थ शास्त्र पढ़ा होगानीति शास्त्र दर्शन शास्त्र भी पढ़ा होगा उनसे हमारा सादर सुझाव है की इतिहास को भी पढ़े हालाँकि हमें पता है अब उनके पास इतना समय नहीं है किसी इतिहास को पढ़ें ? पर हम फिर भी उनहे यह सुझाव दे रहे हैं क्योंकि इतिहास पुराना नहीं है केवल 2 वर्ष पुराना ही है ? पढ़ भी न सकें तो कोई पुराना सांसद ही बता देगा जिससे उन्हें संसद न चलने का दुःख कुछ काम हो सके ? एस पी सिंह , मेरठ ।