कागजी खानापूर्ति से व्लेकर पंचायत के सभी कामो में सीधे दखल करते है सरपंच पति
आपको जानकर हैरानी होगी की पंचायत से जुड़े छोटे से लेकर सभी प्रमुख काम , चाहे वह किसी का वर्क ऑर्डर जारी करने का हो या कोई टेंडर पास करने का , चाहे वह किसी को जमीन का पट्टा देने का मामला हो या फिर सरकारी भूमि को मुक्त करवाने का , चाहे नरेगा में काम देने का मामला हो या फिर सरकारी योजनाओ के नाम पर आने वाले लाखो रुपयो के बजट को खुर्द बुर्द करने का । सभी काम बेख़ौफ़ होकर सरपंच पति ही अंजाम दे रहे है । खास बात यह है की कई बार तो पंचायत समितियों में होने वाली मीटिंगों में भी सरपंच पति ही हिस्सा लेने लगे है । ऐसा किसी एक दो पंचायत में नहीं बल्कि जिले 80 से 90 फीसदी पंचायतो में हो रहा है ।
अपनी दुःख तकलीफ लेकर जाने वाले ग्रामीणों को अपने छोटे छोटे काम करवाने के लिए भी सरपंच पतियो के आगे नाक रगड़नी पड़ रही है । कई जगह तो हालात इतने बदतर है कि ग्रामीणों को छोटे मोटे काम करवाने के लिए भी रिश्वत देनी पड़ रही है । सरपंच पतियो की मनमानी और राठौड़ी के आगे जनता तो बेबस है ही , साथ ही सरकार के प्रतिनिधि के रूप में तैनात ग्राम सेवक भी बेबस है ।
ग्राम सेवको के पास दो ही रास्ते है । एक तो सरपंच पतियो की तानाशाही में हर तरह से सहयोग देकर रिश्वत के पैसो को मिल बांटकर खाओ या फिर खिलाफत करने के बाद ट्रान्सफर होने के लिए तैयार रहो । यही वजह है की कोई भी ग्रामसेवक इनकी मनमानी रोकने की हिम्मत नहीं जुटा पाता है ।
ऐसा नहीं है की पंचायतो में चल रहे इस खेल की जानकारी प्रशासन के आला अधिकारियो से लेकर सरकार में बैठे विधायको या मंत्रियो को नहीं है । सभी को यह हकीकत पता होने के बावजूद कोई भी महिला जनप्रतिनिधियो के अधिकारो पर हो रहे इस कुठाराघात के खिलाफ कार्यवाही नहीं करना चाहते है । हर कोई सरपंच पतियो के कारनामो को आँख बंद करके देख रहे है ।
क्या इसी तरह राजस्थान सरकार ग्रामीण इलाको में महिला शसक्तीकरण करेगी । क्या ऐसी स्थिति के लिए ही पंचायतराज को मजबूती देने का निर्णय किया गया था । क्या इक्कीसवीं सदी में प्रवेश करने के बाद भी हमारे राज्य और देश की महिला जनप्रतिनिधियो को घूंघट की आड़ में ही जीने को विवश होना पडेगा । यह एक बड़ा सवाल है जिसे ना सिर्फ प्रशासनिक अधिकारियो को गंभीरता से लेना पडेगा बल्कि राजनेताओ को भी सरपंच पतियो के बढ़ते हस्तक्षेप पर प्रभावी अंकुश लगाकर ग्रामीण जनता को राहत देने की पहल करनी पड़ेगी ।
राकेश भट्ट
प्रधान संपादक
पॉवर ऑफ़ नेशन
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