फिर बेकार के मुद्दों पर चर्चा क्यों

ओम माथुर
ओम माथुर
देश की सभी समस्याएं दूर है गई हैं। देश मे बेरोजगारी खत्म हो गई है। आतंकवाद थम गया है। भुखमरी मिट गई है। किसान खुशहाल है और खेतों मे फसलें लहलहा रही है। सभी को साफ पानी,24 घंटे बिजली, पर्याप्त चिकित्सा सुविधाएं मिलने लगी है। महिलाओं पर अत्याचार और उनसे बलात्कार अब नहीं होते। काला धन वापस देश मे आ गया है। भारत फिर सोने की चिडिया बन गया है। भ्रष्टाचार का नामोनिशान नहीं है। नेता ईमानदारी से जनसेवा कर रहे हैं। घोटाले अब नहीं होते। कहीं कोई भीख मांगता नहीं दिखता। आरक्षण समाप्त हो गया है और सभी को समान अवसर मिल रहे हैं।
हाँ, ये सब हमारे देश मे सपना ही है। समस्याएं और मुसीबतें बेशुमार है। लेकिन हम किस बहस में उलझे हैं? भारत माता की जय कौन बोलेगा कौन नहीं। महिलाएं मंदिर मे प्रवेश करेगी या नहीं। किसे पाकिस्तान चले जाना चाहिए किसे नहीं। कन्हैया एंड कम्पनी ने जेएनयू मे कौनसे नारे लगाए। साध्वी निरंजना,योगी आदित्य नाथ, ओवेसी,ठाकरे कौनसे कडवे बोल बोले। पीएम मोदी का ड्रेस सेंस कैसा है। राहुल कांग्रेस की बागडोर कब संभालेंगे। टी-20 मे क्यों हारे। क्या सत्ता से जुडे और क्या विपक्षी नेता और क्या मीडिया। लगता है असल मुद्दों से ध्यान भटकाने मे ही लगे हैं। जब विकास के लिए इतने मुद्दे हैं तो विनाश के मुद्दों पर चर्चा क्यों। क्या ऐसे होगा देश का विकास। सबको सोचना होगा।

ओम माथुर 9351415379

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