किसी गजलकार ने ठीक ही कहा है, —
“टूट जाते हैं कभी मेरे किनारे मुझमें,
डूब जाता है कभी मुझमें समन्दर मेरा।
वन मंत्री राजकुमार रिणवा ने भाजपा कार्यालय में जन सुनवाई को फिजूल बताते यहाँतक कह डाला कि, ‘इससे कोई लाभ होने वाला नहीं है।’ उन्होंने यह भी कहा कि, हम डोर टू डोर जा रहे हैं, इससे भी लोग संतुष्ट नहीं तो क्या करें, अगली बार सरकार न आए तो न आए। कर्मफल तो भुगने ही होंगे। उन्होंने प्रदेशाध्यक्ष व मुख्यमंत्री से भी इसी बारे में बात करने की बात भी कही।
गौरतलब है कि, पिछले सप्ताह ऐसी जन
सुनवाई ही में चिकित्सामंत्री राजेन्द्र सिंह राठौर क सामने दो सीनियर कार्यकर्ता भिड़ गये। आखिर मंत्री जी को वहाँ से जाना पड़ गया। अभी चंद दिनों पहले खुद मुख्यमंत्री श्रीमती राजे ने अपने दौरे के समय एक जिले में कार्यकर्ता और जनता से लिये सभी ज्ञापन आगे जाकर कार से बाहर फैंक दिये। अभी हाल ही मे वनमंत्री राजकुमार रिणवा ने, यहाँतक कहदिया कि, – ‘अवैध खनन किसी हालत में नहीं रोका जा सकता।’
आप ही बताईये, जिनके कँधों पर जिम्मेदारी का भार है, भला वे ही ऐसी बयान बाजी करने लगें तब जनता करेगी क्या।
राज के दो साल पूरे होते ही, अभी से ऐसे नाटक देखकर जनता का विश्वास टूटने लगा है। पिछले दिनों शिक्षा राज्यमंत्री देवनानी पर भी मनमानी के आरोप लगाते शिक्षकों ने पोस्टिंग और तबादला नीति को जमकर कोसा।उनके निवास पर घेराव तक किया गया। शिक्षक संतुष्ट नहीं दिखे! खुद मुख्यमंत्री श्रीमती राजे दौरो पर रहीं। बीच बीच में समाचार पत्रों से – जानकारी मिलती रही कि, कुछ मंत्रियों की शीघ्र छुट्टी होने वाली है।
अपनी जनसभाओं में पूर्व मुख्य मंत्री, अशोक गहलोत ने भाजपा पर चुटकी लेते हुए निराले अंदाज में कहा ‘हम नहीं इस राज में तो भाजपा वाले ज्यादा दुखी है । कार्यकर्ताओ की विधायक नहीं सुनते , – विधायको की मंत्री नहीं सुनते और मंत्रियो की बात मुख्यमंत्री नहीं सुनती ….. !
हमने पेंशन दी पर इन लोगो ने जिंदा लोगो को मुर्दा बता कर उसको भी बंद करदी ।गृहमंत्री कटारिया पर फिर हमला बोलते हुए कहा ”वे तो काम के गृहमंत्री है चलती उनकी धेले भर की भी नहीं है । चूँकि, — कटारिया ने पहले राजे के खिलाफ रैली की घोषणा की तो वसुंधरा ने पार्टी छोड़ देने की घोषणा कर दी थी, ……..ऐसे में अब कटारिया को दबना पड़ता है।
वैसे भी देखा जाए तो प्रदेश मैं क्राईम कट्रोल नही हो रहा। हर दिन समाचारों में चोरी, लूट और बलात्कार की खबरों के चलते जनता त्रस्त तौ है ही। राजस्थान की धरती पर अकेले आनन्दपाल और उसकी गंैग ने पुलिस की नींद हराम कर रखी है।कई माह बाद भी उसका सुराग न लगना , अपराधों पर काबू न पाना,सिस्टम की बड़ी खामी बन गया है। इसीसे लोगों में अभी से भरोसा डगमगाता नजर – आरहा है। हाँ कटारिया जी ने बड़ी सफाई से कुछ छोटे – मोटे अफसर और सिपाहियों को , भ्रष्ट आचरण के नाम पर सेवा से मुअत्तल जरूर कर दिया है। बस।