एक म्यान और दो तलवारें

sohanpal singh
sohanpal singh
यह एक गंभीर प्रश्न ही नहीं है संवैधानिक धोका धडी का एक बहुत बड़ा घोटाला है , जब संविधान की इच्छा के अनुसार दिल्ली को अन्य राज्यों के सामान एक विधान सभा दी है तो उसको कार्य करने और अपने कानून बनाने की आजादी क्यों न हो । माना की केंद्रीय सरकार को अपने कुछ अति विषिष्ठ महत्वपूर्ण वयक्तियों की सुरक्षा और सुविधा एवं कुछ भ्रष्ट दागी दबंग मंत्रियों और अफसरों को संरक्षण देने की जिम्मेदारी भी निभानी होती है इसलिए उसको भ्रष्ट पुलिस तंत्र को अपने संरक्षण में रखने की जरुरत हो सकती है ! उसका बटवारा भी हो सकता है उसके लिए केंद्र को अपनी राजधानी कही और बनानी चाहिए या नई दिल्ली यानि लुटियन जोन का शासन अपने हाथ में लेना चाहिए न की पुरे दिल्ली का ? फिर सिमित अधिकार के नाम पर केवल पानी बिजली और ट्रांसपोर्ट और शिक्षा स्वास्थ की जिम्मेदारी दे कर कोई राज्य पूर्णराज्य नहीं बन सकता यह तो चुने हुए लोगों के संवैधानिक अधिकारो के साथ मजाक करने जैसा ही है ? वैसे भी संविधान के अनुसार संविधान जो आजादी और न्याय , और समानता का अधिकार व्यक्ति संस्था और चुने हुए प्रतिनिधियों को अपना शासन स्वयं चलाने का अधिकार देता है दिल्ली की सरकार केंद्र के हिटलरी फरमान के आगे बेबस है ? और सबसे बड़ा सवाल तो ये हैं की फिर दिल्ली की विधान सभा का गठन क्यों ? चुनाव क्यों ? दिल्ली की सरकार क्यों ? साफ सफाई की व्यवस्था तो नगर पालिका ही करती है और बाकी का काम सभी मंत्रालयों को देदेना चाहिए संविधान के नाम पर दिल्ली में सरकार होने का नाटक बंद कर देना चाहिए ? अगर केंद्र सरकार अपने अधिकारो को अक्षुण रखने की इतनी ही चिंता है तो फिर देश के सभी राज्यों की राजधानियों में यह व्यस्था होनी चाहिए ? एल जी की ही तरह डी एम् को सभी राज्य की राजधानियों की व्यस्था बनानी चाहिए ? या फिर दिल्ली विधान सभा को समाप्त कर देना चाहिए ?

चूँकि अब दिल्ली जो राष्ट्रिय राजधानी होने साथ साथ दिल्ली सरकार का भी हेड क्वाटर है टकराव का कारण भी बन गई है क्योंकि कहावत यह है की एक म्यान में दो तलवारें नहीं रखी जा सकती और इसी कारण से केंद्र की सरकार दिल्ली की सरकार को कभी भी पूर्ण राज्य तो अलग उसका संवैधानिक अधिकार नहीं दे सकती ? इसलिए दिल्ली की चुनी हुई सरकार दिल्ली की जनता की अपेक्षा के अनुसार उनको शासन नहीं दे सकती अतः केंद्र की सरकार को चाहिए कि दिल्ली विधान सभा के अस्तित्व को समाप्त कर दे और दिल्ली की जनता को सुचारू शासन दे यही दिल्ली की जनता के लिए श्रेयकर होगा ? संविधान और संविधान के नाम पर रोज रोज का नाटक समाप्त होना चाहिए ?

एस. पी. सिंह , मेरठ ।

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