जैसे किसी जादूगर का सम्मोहन का शो चल रहा है

sohanpal singh
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किसी भी टाउन हॉल की कहानी किसी भी पुराने व्यक्ति से छिपी नहीं होगी ? हम भी उसके विषय में क्या कहें की अंग्रेजों ने ही प्रत्येक जिले में इन बिल्डिंगों का निर्माण कराया था जो सरकारी और गैरसरकारी सामाजिक कार्यों का प्रोमिनेन्ट स्थान हुआ करते थे town hall नाम शायद इसलिए हुआ होगा की शहर के बीचो बीच एक बड़ा कमरा होने के कारण ही टाउन हॉल कहलाये ये भवन , लाल ईंटों और चूने से बानी ईमारत जिसकी दीवारे डेढ़ फुट मोटी और ऊँची छत , अंग्रेजों की वास्तुकला और सूझबूझ का स्मारक ही प्रतीत होते हैं ये टाउन हॉल ? वैसे आजादी के बाद ये टाउन हॉल बदनाम भी खूब हुए है , असामाजिक तत्वों को सर छुपाने व्यभिचार के अड्डो के रूप में भी कुछ कम नाम नहीं कमाया है ? लेकिन एक टाउन हॉल जो आज हमने टी वी पर देखा उसकी भव्यता और छटा देखकर तो ऐसा लगा कि शायद हम किसी योरुपीय देस में विचरण कर रहे हैं , ऐसा लग रहा था की जैसे किसी जादूगर का सम्मोहन का शो चल रहा है ? जनता को सम्मोहित करके जादूगर जो कुछ दिखाना चाहता है जनता उसके कहे अनुसार वैसा ही देख रही थी और अनुभव भी कर रही थी ? लेकिन जैसा की हमने महसूस किया की हम किसी योरुपीय देस में हैं तो स्वाभाविक ही है उस शो में किसी मैले कुचैले गरीब मजदूर के दर्शन तो दुर्लभ ही होने थे और ऐसा ही हुआ कि वहां बात तो गाँव ग्राम की हुयी लेकिन कोई ग्रामीण वास्तव में वहां नहीं दिखा ! वैसे तो टाउन ही क्या पुरे देश का हाल क्या है सब को पता है एक टाउन हाल का हाल जानके क्या होगा ? भले ही जादूगर की बात को कहने और समझाने की भाषा हिंदी थी लेकिन शब्द अंग्रेजी के ही थे , विज़न ऑफ़ इंडिया, स्टार्ट अप इंडिया , डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया , यानि सब कुछ इंडिया , जादूगर कह रहा था देखो भाई आपकी समस्या जहाँ से शुरू होती है उसका समाधान भी वहीँ होता है यानि अगर किसी अस्पताल में इलाज नहीं होता तो उसके इंचार्ज डॉक्टर को पकड़ो ? मुझे क्यों दोष देते हो ? भक्तगण गद गद हैं । यानि हम ये समझे की अगर खाद्य वस्तुएं महंगी हो रही है तो बेचने वाले को ही शिकायत करें की तू महंगा क्यों बेच रहा है , हमारे ज्ञान चक्षु ही खुल गए हैं , अब इन्तजार कर रहे हैं कि कब हमारी मालकिन पैसे और थैला हाथ में पकड़ाती हैं और कब हम कीसी दुकानदार से टकराते हैं और दिए गए ज्ञान को किस प्रकार इस्तेमाल करते हैं अगर हम जीते तो कोई बात नहीं अगर हारे तो दो बातें होंगी या हम किसी हॉस्पिटल में होंगे या फिर टाउन हॉल के बाहर मिलेंगे ?

एस.पी.सिंह, मेरठ ।

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