उम्मीद

sohanpal singh
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पता नहीं हम भारतवासी लोग अपने नेताओं से इतनी उम्मीद क्यों पाल लेते है कि वे सब समस्या का समाधान जानते हैं और समाधान कर भी देंगे? इस लिए पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद से पार पाना भारतीय नेताओं के बस का रोग तो हैं नहीं इस समस्या का हल केवल सुरक्षा से जुड़े फ़ौज और अधिकारीयों के पास ही है ? क्योंकि नेताओं का हर काम वोट बैंक की चौखट पर आकर रुक जाता है ।वैसे भी मोदी जी से देश की किसी भी समस्या के समाधान की अपेक्षा नहीं रखनी चाहिए क्योंकि ये कर्मयोगी नहीं कर्म भोगी के चोले में अवतरित हुए है केवल प्रचारक से प्रसारक (फ़ैलाने वाले) बन सके हैं अब तक , जो डिजाइनर कपडे और लच्छेदार भाषण में माहिर हैं करने के नाम पर कुछ नहीं ? वैसे भी एक प्रचारक की मानसिकता क्या हो सकती है वह मार्केटिंग स्किल से पता चलती है जब दोस्ती के नाम पर jio के फ्री सिम बेच दिए । शायद हमें नेतृत्व पर तब भरोसा होगा की सीमा से आने वाले शहीदों के ताबूत किसी किसान मजदूर के घर के स्थान पर किसी नेता की संतान का ताबूत उसकी भव्यऔर शानदार कोठी पर आकर रुके ? इस लिए नेताओं की संतानों को फ़ौज में अनिवार्य सेवा का कानून बने ? तब उनको सीमा पर शहीद होने वाले जवानो और वोट बैंक की राजनीती में अंतर का फर्क समझने में कुछ आसानी होगी ? आर एस एस द्वारा एक ऐसे बहुआयामी अपरिपक्व व्यक्ति को देश पर थोपने का पाप आने वाले समय में भुगतना ही होगा ? इसलिए हम तो इस नेतृत्व से कोई उम्मीद नहीं रखते आप रखते हैं तो आप जाने ? इसलिए हम यह उम्मीद नहीं करते कि आतंकवाद का मुकाबला प्रधान मंत्री, रक्षा मंत्री, या गृहमंत्री सीमा पर जाकर युद्ध करें । हम उनसे ये वाजिब उम्मीद कर सकते है कि वे राजनीति से इतर फौजी जनरलों को अपना दायित्व निभाने दें उन्हें खुली छूट मिले ?

एस पी सिंह, मेरठ ।

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