sohanpal singh“तू मान या ना मान मैं तेरा मेहमान” हमे यह समझ नहीं आता कि आर एस एस का एक स्वयं सेवक अगर भारत जैसे विशाल देश का रक्षा मंत्री बाई डिफाल्ट बन ही गया है तो उसको संघ का आभार प्रकट करने और गुण गान करने का पूर्ण अधिकार है ? लेकिन उनको यह अधिकार किसने दिया कि वह फ़ौज द्वारा किये गए शौर्य को आर एस एस की प्रेरणा बताएं ? क्या पर्रिकर जी हमें यह बताएँगे कि जब वह हाफ पेंट पहन कर संघ की शाखाओं में लाठी घुमाना सीख रहे थे लगभग उसी समय 1971 में भारतीय फ़ौज और भारतीय नेतृत्व के कुशल संचालन में दुनिया में एक नए देश बंगला देश का उदय हुआ था और पाकिस्तान के 95 हजार सैनिकों को बंदी बनाया गया था ? तो पर्रिकर जी बताएं कि भारतीय फ़ौज का यह पराक्रम उनके कौन से पिता जी की प्रेरणा का फल था ? पर्रिकर जी मैं कहना तो नहीं चाहता लेकिन कहे बगैर आपको समझ नहीं आ सकता , आपके जिस कुशल प्रेरणा दायक नेतृत्व ने 1999 में कारगिल में भारतीय फ़ौज का जिस प्रकार मर्दन करवाया थाऔर एलओसी को क्रास न करने के कारण जितने फौजी मारे गए थे । उन फौजियों की आत्मा के कारन ही आज कुछ नेता अपनी जिंदगी जिस प्रकार बीता रहै हैं उनसे भी कुछ प्रेरणा लेकर देखो आप भी उसी लाइन में हैं ? आर एस एस गांधी की हत्या में काफी बदनाम हो चुका है उसके दाग फौज को प्रेरणा देकर नहीं धुलेंगे ? एस.पी.सिंह, मेरठ ।