‘नोट की चोट’ आम जन को दर्द या काले कमाई की सफाई

vikas kumarविकास अकेला
नरेन्द्र मोदी ने एक ऐतिहासिक बड़ा फैसला लेते हुए 8 नवम्बर की रात 12 बजे से प्रचलन में 500 और 1000 के नोट को बंद कर दिया। नरेन्द्र मोदी ने यह राष्ट्र के नाम संबोधन में घोषणा की। देशभर में एक तरह से अफरा-तफरी मची है। देश में ऐसी भी जगहें है जहां बैंकों में लोग साधारण दिनों में सुबह सात बजे से गेट पर लाइन लगाते नहीं थकते थे, अब तो मामला नोट बदलने का है। जनता विभ्रम की स्थिति में हैं, कुछ जिनके पास रुपया न के बराबर है वो तो इस फैसले से खुश है भले ही उनकी कमाई में कमी आई हो, तो दूसरी ओर वो लोग है जो मध्यम वर्गीय है लाईन में जाकर खड़े हुए और पैसे मिलने में देरी हकला से गये हैं। कतार में खड़े लोगों में कुछ मोदी की प्रशंसा के साथ तुगलकी फरमान भी बता रहे हैं। बताया जा रहा है इस समय देश के लगभग 70 फीसदी एटीएम काम नहीं कर रहें।
अमत्र्य सेन ने 1943 के बंगाल अकाल पर कहा था कि लोग अकाल में अनाज की कमी से कम और क्रय क्षमता की कमी से अधिक मरते हैं। आपके खाते में पैसा है, लेकिन जेब में है ही नहीं तो जो हजार पांच सौ का नोट जो आपके पास में है उससे कुछ खरीद नहीं सकते अर्थात् आपकी क्रय क्षमता शुन्य है। अब ऐसे में अगर आपको भूख लगी हो तो क्या करेंगे? अपना एटीएम कार्ड लेकर शहर में दौड़ेंगे, भूख में दौड़ने की वैसे ही घटी हुई उर्जा और व्यर्थ करेंगे। एटीएम के सामने की भीड़ न तो अभी कम हुई है, न अगले कुछ दिनों में कम होगी। अर्थात् दौड़ना व्यर्थ जायेगा। फिर भूख अनशन और अकाल तक ले जा सकेगी।
सोशल मीडिया पर चहुंओर नोट बंदी को लेकर चर्चाये जारी है। सबसे ज्यादा विरोध विपक्ष की तरफ से हो रहा है और पक्ष के अलावा कुछ लोग शांत है। कुछ लोगों के तरफ से कोई कमंेट नहीं आ रहा। कुछ लोग इसे तुगलकी फरमान बता रहे है, कुछ नरेन्द्र मोदी की तुलना हिटलर से कर रहे है। सर्वविदित है कि नरेन्द्र मोदी सरकार ने अपने मेनिफेस्टों में कालेधन और भ्रष्टाचार का जिक्र किया था लेकिन यह भी अपेक्षित है कि समान सिविल कोड संहिता, धारा 370 और राममंन्दिर समेत कैंसर हो चुके अन्य मामले भी जनता के समक्ष मुंह बाये खड़े है बीजेपी की घोषणाओं को लेकर।
अफवाहें भी फैल रही है कि 2000 का नोट एटीएम मशीन में नहीं समा रहा। सरकार के नोट साईज निर्माण पर सवाल उठाये जा रहें हैं वहीं कुछ लोगों के आत्महत्या, शादी में रूकावट, शमशान घाटों पर परेशानी समेत तमाम तरह की खबरे आ रही हैं। बताया जा रहा है कि अम्बानी के बहनोई को आरबीआई गर्वनर आनन फानन में बनाया गया ताकी अम्बानी के काले धन को व्हाईट किया जा सके। अफवाह यह भी है कि भाजपा के लोगों को यह पहले से पता था कि 500 और 1000 के नोट बंद होने है ऐसे में खबर आ रही है कि बंगाल की भाजपा इकाई ने 1 करोण बैंक में डाले हैं।
नरेन्द्र मोदी सरकार जहां इसे काले धन की सफाई और भ्रष्टाचार पर रोक के लिए अपनी अहम और ऐतिहासिक कदम बता रही है वहीं मुलायम सिंह यादव, कांग्रेस के राहुल गांधी, बसपा सुप्रिमो समेत केजरीवाल इसके विरोध में उतर आये हैं। इसे घोटाला करार दे रहे है। कुछ नेता बड़े पूंजिपतियों के यहां निकलने वाले काले धन की जानकारी की मांग कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने गोवा के बेलगाम में संबोधित करते हुए नोटबंदी पर कहा कि “यह फैसला देश की भलाई में लिया है. साथ ही देश के सारे काले धन को बाहर निकालने के लिए देश से केवल 50 दिन देने का आग्रह किया. इस फैसले से लोगों को थोड़े दिन तकलीफ होंगी, मैं यह पहले ही जानता था, लेकिन भ्रष्टाचार के खिलाफ यह जरूरी था. मेरे निर्णय से पेन है, लेकिन देश को गेन ज्यादा है. काला धन रखने वालों के खिलाफ कार्रवाई 30 दिसंबर के बाद भी रुकेगी नहीं. उन्होंने कहा, मेरे दिमाग में देश से बेईमानी और भ्रष्टाचार खत्म करने की और भी कई योजनाएं हैं. ये योजनाएं आ रही हैं. नकदी रहित समाज भ्रष्टाचार से लड़ने का सबसे अच्छा तरीका है. मैंने क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड से लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाएं. गोवा के पणजी में प्रधानमंत्री ने एक लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि मेरी सरकार गरीबों के लिए हैं. देश के गरीबों की मदद करना सरकार का दायित्व है. मैं कुर्सी के लिए पैदा नहीं हुआ हूं. नोटबंदी मामले पर उन्होंने कहा कि मैंने कभी देश को अंधेरे में नहीं रखा. उन लोगों को पता था कि ऐसा कड़ा निर्णय लिया जाएगा. पिछले दो साल में सवा लाख करोड़ रुपया खजाने में जमा हुआ है. देश में 20 करोड़ से ज्यादा गरीब लोगों के खाते खोले गए हैं. उन्होंने कहा कि देश की आर्थिक तबीयत सुधारने के लिए दवाई दी है. पहले आर्थिक सुधार के लिए धीरे-धीरे दवाई दे रहा था. मैंने घर परिवार सब देश के लिए छोड़ दिया. उन्होंने कहा कि मैंने सब कुछ देश के लिए किया, मैं कुछ लेकर नहीं जाऊंगा. देश की भलाई के लिए जनता कष्ट सहने को तैयार है. बैंककर्मी पिछले एक हफ्ते से दिनरात काम कर रहे हैं. पिछले 10 महीने से इस योजना पर गोपनीय तरीके से काम हो रहा था. चोरी के पैसे का पता चले इसके लिए सरकार ने काम किया. देश का युवा इस निर्णय को सफल बनाने में लगा है. 30 दिसंबर तक जनता मौका दे. उसके बाद मेरी गलती निकली तो हर सजा के लिए तैयार हूं.ये लड़ाई ईमानदार लोगों का भरोसा जीतने के लिए है. ये तकलीफ सिर्फ 50 दिनों के लिए हैं. गंगा में चवन्नी नहीं डालते थे, आज नोट बहा रहे हैं. बड़े-बड़े स्कैम करने वाले 4000 रुपये के लिए लाइन में लगे हैं. कालाधन वाले अफवाह फैलाने में लगे हैं. लेकिन सरकार अभी शांत नहीं बैठेगी. देश की आजादी के बाद से अब तक का कच्चा चिट्ठा खुलेगा. कालाधन वालों के पैसे बच नहीं पाएंगे. कालाधन के खिलाफ ये अंतिम फैसला नहीं. जानता हूं कई ताकतें मेरे खिलाफ हैं, वो मुझे जिंदा नहीं छोड़ेंगे क्योंकि उनकी 70 साल की लूट खतरे में है. मैं तैयार हूं.”
10 नवंबर से 30 दिसंबर तक बैंक और प्रमुख डाकघरों में जमा कराकर उसके बदले में रकम ले सकते हैं। 10 नवंबर से 24 नवंबर तक 4000 रुपए तक के पुराने 500 और 1000 के नोट बदले जा सकते हैं। सूचना है कि यह तिथि बढ़ाई भी जा सकती है तथा यह तिथि 15 दिन बाद यानी 25 नवंबर से 4000 रुपए की सीमा में वृद्धि की जा सकती है। ऐसे लोग जो इस समय यानी सीमा के अंदर यानी 30 दिसंबर 2016 तक पुराने नोट किसी कारणवश जमा नहीं कर पाए तो उन्हें 500 और 1000 के नोट बदलने का एक आखिरी अवसर भी दिया जाएगा। 30 दिसंबर 2016 के बाद रिजर्व बैंक में घोषणा पत्र के साथ 31 मार्च 2017 तक जमा हो सकेंगे। 11 नवंबर की रात्रि 12 बजे तक सभी सरकारी अस्पतालों में पुराने 500 के नोट स्वीकार किए जाएंगे। नोट बंदी के 72 घंटों तक रेलवे के बुकिंग काउंटर, सरकारी बसों के टिकट बुकिंग काउंटर और हवाई अड्डों पर भी केवल टिकट खरीदने के लिए पुराने नोट मान्य होंगे। अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डों लोगों के पास यदि पुराने नोट हैं 5000 रुपये तक बदले जा सकेंगे। 100, 50, 20, 10, 5, 2, 1 रुपए के नोट और सिक्कों पर कोई रोक नहीं है।
खैर मामला शांत होने का नाम नहीं ले रहा। शादी, विवाह से लेकर छोटेे-मोटे ब्यापारियों, नौकरीपेशा लोगों को दिक्कते आ रही है। वहीं कालेधन को ब्लैक बनाने के लिए लोग पेट्रोल पम्प से डीजल खरीद कर स्टोर कर रहे हैं क्योंकि डीजल खरीद पर कोई प्रतिबंध नहीं है। कुछ तो पैसे को पानी में भी बहा रहे हैं तो कुछ जला रहे है। आमजन जिनके पास ज्यादा पैसे नहीं वे एक तरह से खुश नजर आ रहे हैं तो दूसरी तरफ लाइन में लगे लोग बौखला रहे हैं।

लेखक स्वतंत्र पत्रकार है और अनेको पत्रिकाओं से जुड़े है।

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