2000 भी क्यों ?

sohanpal singh
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हिप्पोक्रेसी का एक और नमूना , अब तक तो राजनितिक पार्टियां 20 हजार से कम चंदे का सोर्स बताने कई जरुरत नहीं थी, अब सरकार के आदेश के अनुसार 2000 ₹ तक का चंदा कैश में लिया जा सकता है । हम कहते हैं कि 2000 भी क्यों जब पारदर्शिता ही करनी है टीओ एक रुपये का भी हिसाब होना चाहिए ? क्योकि जिस पार्टी की सदस्य संख्या जितनी जायदा होगी उसे उतना ही फायदा होगा जैसे हम बात करें बीजेपी कई उसकी सदस्य संख्या 8 करोड़ से भी अधिक है अगर सबने 2000 ₹ ही दिया 16000 करोड़ तो एक दिन में ही जमा हो जायेगा ? यइ मजाक नहीं तो और क्या है ?

एसपी सिंह । मेरठ ।

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