क्या सरबजीत की मौत हो चुकी है?

sarabjeetआधुनिक चिकित्सा विज्ञान में किसी को तब मृत घोषित किया जाता है, जब उसका दिमाग मृत घोषित कर दिया जाए। लेकिन कमाल देखिए कि सरबजीत के मामले में पाकिस्तानी अस्पताल के हवाले से सरबजीत के ब्रेन डेड की खबर तो आ रही है लेकिन यह नहीं घोषित किया जा रहा है कि सरबजीत की मौत हो चुकी है। लाहौर से दोपहर में भारत लौटे सरबजीत के परिवार ने भी मीडिया से बात करते वक्त जो कुछ कहा है वह यही संकेत कर रहा है कि पाकिस्तान ने सरबजीत के परिवार को जो वीजा दिया था, वह अंतिम दर्शनों के लिए दिया गया वीजा था। देखना यह है कि पाकिस्तानी प्रशासन सरबजीत को कब मृत घोषित करता है और भारत सरकार क्या कुछ कदम उठाती है।

बीते शुक्रवार को जिस वक्त लाहौर की कोट लखपत जेल में सरबजीत पर हमला किया गया वह जुमे की नमाज का वक्त होता है। यानी, हमलावर कैदियों ने बहुत ‘पवित्र’ समय में इस अपवित्र काम को अंजाम दिया। अभी तक की जांच पड़ताल में बार बार यही बात सामने भी आ रही है कि जो कुछ किया गया, जानबूझकर किया गया। धर्म और देशभक्ति के नाम पर किया गया।

हमले के बाद कुछ ही घंटों में सरबजीत को लाहौर के जिन्ना अस्पताल पहुंचा दिया गया था और तत्काल सरबजीत को वेन्टिलेटर पर रख दिया गया लेकिन उनकी स्थिति ऐसी जटिल थी, सिवाय उनको मरते हुए देखने के डॉक्टरों ने कुछ नहीं किया। कहने के लिए पाकिस्तान ने तत्काल विशेषज्ञों की टीम भी गठित कर दी लेकिन सरबजीत की स्थिति इतनी जटिल थी विशेषज्ञ भी कुछ कर नहीं सकते। उनके सिर में खून के थक्के जम चुके थे। ऐसी स्थिति में ब्रेन हेमरेज का खतरा स्वाभाविक तौर पर था। लेकिन डॉक्टरों ने आपरेशन इसलिए नहीं किया क्योंकि वे गहरे अचेतन अवस्था में थे। आपरेशन करने के लिए उनका होश में होना जरूरी था। वे होश में तब आते जब उनके सिर के गंभीर चोट में कोई सुधार होता। सिर की गंभीर चोट में कोई सुधार तब होता जब उसका इलाज होता। सिर का इलाज शुरू इसलिए नहीं किया जा सकता था क्योंकि वे गहरे कोमा में थे।

ऐसी परिस्थिति में सिवाय मौत के और दूसरा कोई इलाज हो भी नहीं सकता था। लेकिन अभी भी लाहौर का जिन्ना अस्पताल उन्हें सिर्फ “ब्रेन डेड” बता रहा है। कह रहा है कि दिमाग काम नहीं कर रहा है, लेकिन दिल धड़क रहा है। अगर ब्रेन डेड आदमी को जिन्दा किया जा सकता है तो निश्चित रूप से भारत सरकार को भी सरबजीत के बच जाने की उम्मीद करनी चाहिए नहीं तो इस वक्त सरबजीत की जो शारीरिक स्थिति है, उसमें उनके शरीर को सिर्फ वेन्टिलेटर के सहारे जिन्दा रखा गया है। जैसे ही वेन्टिलेटर हटाया जाएगा, उनका दिल धड़कना भी बंद हो जाएगा और उन्हें मृत घोषित कर दिया जाएगा। देखना यह है कि पाकिस्तान का जिन्ना अस्पताल किस घड़ी मुहूरत में यह घोषणा करता है। अगर जिन्ना अस्पताल या पाकिस्तान सरकार द्वारा गठित विशेषज्ञों की टीम को सरबजीत के बचने की जरा भी उम्मीद होती तो शायद कूटनीतिक और राजनीतिक आरोपों से बचने के लिए वे सरबजीत को विदेश भेज सकते थे। एक समिति भी बनी थी जिसे यह निर्णय करना था कि सरबजीत को विदेश भेजा जाए या नहीं, लेकिन उस समिति ने सरबजीत को विदेश भेजने से संभवत: इसलिए इंकार कर दिया होगा कि जो होना था, वह हो चुका था।

इस शक को बल इस बात से भी मिलता है कि 15 दिन के वीजा पर लाहौर गये थे लेकिन तीसरे ही दिन वापस लौट आये। हालांकि दलबीर कौर का कहना है कि वह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलकर सरबजीत को भारत लाने के बारे में निवेदन करेगी, लेकिन यह कह पाना सचमुच मुश्किल है कि सरबजीत का शरीर किस रूप में भारत के हाथ लगेगा। हाथ लगेगा भी या नहीं, यह तो शायद सोनिया गांधी भी नहीं जानती होंगी। विस्फोट डॉट कॉम

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