अजमेर। संभागीय आयुक्त श्री आर.के. मीणा ने चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वे अजमेर संभाग के उन दूर-दराज क्षेत्रों में जहां चिकित्सा के कोई साधन उपलब्ध नहीं हैं, वहां तत्परता से चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराएं।
उन्होंने अपने कक्ष में आयोजित एक बैठक में कहा कि राज्य सरकार के निर्देशानुसार मेडिकल मोबाईल यूनिट व मेडिकल मोबाईल वेन जो सभी प्रकार की चिकित्सा सुविधा व चिकित्साकर्मियों से परिपूर्ण होगी। इन दूर-दराज के गांवों में पहुंचे और जरूरत मंदों को मौके पर ही चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराएं।
संभागीय आयुक्त की अध्यक्षता में राज्य सरकार द्वारा गठित कमेटी की इस बैठक में अजमेर संभाग के चार जिलों अजमेर, नागौर, भीलवाडा व टोंक में स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से मेडिकल मोबाईल यूनिट व मोबाईल वेन को चलाने के प्रस्तावों पर विचार किया गया। इनके खर्चे का भुगतान राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) द्वारा किया जाएगा। बैठक में दो संस्थाओं 1- ”हैल्थ मैनेजमेंट रिसर्च इंस्टीट्यूट हैदराबाद एवं 2- आदर्श सरस्वती महिला शिक्षा एवं ग्रामीण विकास समिति टोंकÓÓ को उपयुक्त पाया गया। बैठक में बताया गया कि वर्तमान में अजमेर संभाग में 25 मोबाईल वेन जिनमें 5 अजमेर, 6 भीलवाडा, 11 नागौर व 3 टोंक जिले में चल रही हैं तथा 4 मोबाईल यूनिट जिनमें 2 अजमेर तथा एक-एक भीलवाडा व टोंक जिले में दूर-दराज के गांवों में चिकित्सा सुविधा के लिए कार्य कर रही हैं।
संयुक्त निदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य डॉ. मधु विजयवर्गीय ने बताया कि मेडिकल मोबाईल यूनिट में चिकित्सा उपकरण के साथ चिकित्सक, एक्सरे, लैब, रेडियोग्राफर, नर्सिंग स्टाफ, वाहन चालक एवं वार्ड बॉय उपलब्ध है तथा मेडिकल मोबाईल वेन में चिकित्सक, नर्सिंग स्टाफ, वार्ड बॉय एवं वाहन चालक आदि होंगे। इसमें चिकित्सा उपकरण उपलब्ध नहीं हैं। इनके संचालन का मुख्य उद्देश्य दुर्गम क्षेत्र के निवासियों को यथास्थान पर चिकित्सा सुविधा मुहैया कराना है।
बैठक में कमेटी के सदस्य एवं अजमेर जिला कलक्टर श्री वैभव गालरिया, अतिरिक्त संभागीय आयुक्त श्री हनुमान सिंह भाटी, विश्वविद्यालय के मुख्य लेखाधिकारी श्री राजेश शर्मा, जवाहर लाल नेहरू चिकित्सालय के अधीक्षक डॉ. पी.सी. वर्मा, संयुक्त निदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य तथा चारों जिलों के मुख्य चिकित्सक एवं स्वास्थ्य अधिकारी मौजूद थे।