नई दिल्ली, 23 सितम्बर। भारत में सूफ़ियों के सबसे बड़े संगठन सदा-ए-सूफ़िया-ए-हिन्द ने 29 सितम्बर को राजस्थान के लाडनूँ के मीठड़ी गाँव में होने वाली वहाबी मौलाना जर्जिस के कार्यक्रम को खटाई में डाल दिया है। सदा-ए-सूफ़िया-ए-हिन्द के संस्थापक अध्यक्ष सैयद बाबर अशरफ़ के दिल्ली से लाडनूँ के उपखंड अधिकारी के नाम भेजे गए ज्ञापन से प्रशासनिक, पुलिस और ख़ूफ़िया महकमें में हलचल मच गई है। सैयद बाबर अशरफ़ ने मौलाना जर्जिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए उनके कार्यक्रम पर रोक लगाने और आयोजकों पर राष्ट्रद्रोह का मुक़दमा क़ायम करने की माँग कर मुस्लिम समुदाय के अन्दर चल रहे अन्तरविरोध को काफ़ी मुखर कर दिया है। इतना ही नहीं कट्टरवादी मौलाना के कार्यक्रम के साथ राजस्थान सरकार के लोकनिर्माण मंत्री यूनुस ख़ाँ और वक़्फ़ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष सलावत ख़ाँ का नाम भी छपा है। लोगों में चर्चा है कि भारत की एकता और हिन्दू व सूफ़ी मत की मज़ाक़ उड़ाने वाले वहाबी मौलाना के कार्यक्रम में भारतीय जनता पार्टी के इतने सीनियर मुस्लिम नेता किससे पूछ कर शरीक़ हो रहे हैं।
लाडनूँ के उपखंड अधिकारी के नाम ज्ञापन मीडिया में लीक होने के बाद लाडनूँ प्रशासन बचाव की मुद्रा में आ गया है। मौलाना जर्जिस के राष्ट्रद्रोह और हिन्दू एवं सूफ़ी मत के विरुद्ध ज़हरीली बोल के आरोप वाले सैयद बाबर अशरफ़ के ज्ञापन में मौलाना जर्जिस पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। ज्ञापन में सैयद बाबर अशरफ़ ने लिखा है कि 29 सितम्बर 2015 को वहाबी/सलफ़ी कट्टरवादी वर्ग द्वारा मौलाना जर्जिस के खान मोहल्ला, लाल कोठी, गाँव मीठड़ी, लाडनूँ कार्यक्रम की अनुमति रद्द करने के साथ-साथ सऊदी अरब से वित्तपोषित वहाबी/सलफ़ी विचारक मौलाना जर्जिस के आजीवन राजस्थान प्रवास को प्रतिबंधित करने की सदा-ए-सूफ़िया-हिन्द अपील करता है। मौलाना जर्जिस का इतिहास सिर्फ़ धार्मिक उन्माद फैलाने और सऊदी अरब छाप कट्टरवादी वहाबी/सलफ़ी विचारधारा को स्थापित करने के लिए प्रयास करने का रहा है। मौलाना जर्जिस इस्लामी सूफ़ी सन्तों पर भद्दी फ़ब्तियाँ कसते हैं, उनकी सूफ़ी एवं उदार विचारधारा का मज़ाक़ उड़ाते हैं तथा विश्व के दुर्दांत आंतकवादी संगठऩ आईएसआईएस की वहाबी/सलफ़ी विचारधारा की उन्मुक्त कंठ से प्रशंसा करते हैं। इतना ही नहीं मौलाना जर्जिस हिन्दू भाइयों की सामुदायिक विचारधारा, हिन्दू सहिष्णुता और हिन्दू देवी-देवताओं एवं पूजा पद्धति का मज़ाक़ उड़ाते हैं एवं उन पर मनगढंत चुटकुले बनाकर साम्प्रदायिक माहौल बिगाड़ते हैं। सैयद बाबर अशरफ़ ने अपने ज्ञापन में यह आरोप लगाया कि मौलाना जर्जिस सूफ़ी एवं शिया विचारधारा को हिन्दू पूजा पद्धति क़रार देते हुए अपने वहाबी/सलफ़ी मूर्ख अनुयाइयों को ख़ुश करने का प्रयास कर ने के चक्कर में वहाबी/सलफ़ी एजेंडे को स्थापित करने का हर जगह प्रयास करते हैं। उनकी इन नीच हरकतों से बहुसंख्यक उदार राष्ट्रप्रेमी सूफ़ी मुस्लिम समुदाय ही आहत नहीं होता वरन् हमारे हिन्दू सहिष्णु भाइयों के मन में भी इस्लाम के प्रति रोष का भाव जागता है तो दूरगामी सामुदायिक एकता एवं साम्प्रदायिक सौहार्द के विरुद्ध है।
मुख्यमंत्री और गृह मंत्री के नाम भी ज्ञापन की कॉपी लिखी गई है जिसमें अशरफ़ ने कहाकि मौलाना जर्जिस की ज़हरीली ज़ुबान को यूट्यूब पर आसानी से सुना जा सकता है। सैयद बाबर ने लिखा है कि हाल ही में सऊदी अरब छाप कट्टरवादी वहाबी/सलफ़ी विचारक और हिन्दू-मुस्लिम एकता के भारी विरोधी मौलाना जर्जिस पर दिनाँक सितम्बर 13, 2015 को उत्तर प्रदेश के कानपुर के शुजातगंज थाने में फौजदारी FIR दर्ज हुई है जिसमें अहले हदीस के कार्यक्रम आयोजक को प्रशासन एवं माननीय सम्मानित न्यायालय ने जेल भेज दिया है। वहाँ मौलाना जर्जिस ने इस्लाम में मान्य हदीस (पैग़म्बर मुहम्मद साहब के कथन) की ग़लत बयानी कर सूफ़ी विचारधारा का मज़ाक़ उड़ाने की कोशिश की और वहाँ दंगे की स्थिति उत्पन्न हो गई। मौलाना जर्जिस के लोगों ने स्थानीय युवकों को पीटा जिसमें कई लोग घायल हो गए एवं क्षेत्र की क़ानून व्यवस्था चौपट हो गई। मौलाना जर्जिस का इतिहास है कि इन्होंने जहाँ भी सभा की है, वहाँ की क़ानून व्यवस्था, साम्प्रदायिक सौहार्द व शांति ख़तरे में पड़ी है। अशरफ़ ने मौलाना जर्जिस की इस हरकत के बाबत कानपुर, शुजातगंज थाने में दर्ज एफ़आईआर की कॉपी, समाचार पत्रों में छपी ख़बरों की कतरने भी ज्ञापन के साथ नत्थी की हैं। इन सभी ख़बरों और कानपुर में जर्जिस के विरुद्ध एफ़आईआर की कॉपी भी मीडिया में लीक हो गई, जिसे लाडनूँ प्रशासन छुपाना चाह रहा था।
सदा-ए-सूफ़िया-ए-हिन्द के ज्ञापन में कहा गया कि लाडनूँ एवं नागौर ज़िले में कुल मुस्लिम आबादी के पाँच प्रतिशत लोग भी सऊदी अरब छाप कट्टरवादी वहाबी/सलफ़ी विचारधारा अहले हदीस से ताल्लुक़ नहीं रखते, परन्तु सऊदी अरब के प्राप्त धन एवं गाइडलाइन के अनुसार यह क्षेत्र के साम्प्रदायिक एवं सामुदायिक माहौल को ख़राब करने की मंशा अवश्य रखते हैं एवं उस कपोल कल्पित ख़िलाफ़त का झूठा सपना दिखाते हैं जिसका दावा दुर्दांत वहाबी/सलफ़ी आतंकवादी संगठन आईएसआईएस कर रहा है। धन, बाहुबल, राजनीतिक एवं प्रशासनिक रसूख की धौंस दिखाकर यह भारतवर्ष के हज़ारों गाँव शहरों में साधनहीन, निर्धन परन्तु मेहनतकश, उदार, सामुदायिकता, हिन्दू-मुस्लिम एकता एवं देश के पंथनिरपेक्ष ढांचे में विश्वास रखने वाले सूफ़ी समुदाय का शोषण और दमन करते आए हैं।
कार्यक्रम में राजस्थान सरकार के लोकनिर्माण मंत्री यूनुस ख़ाँ और वक़्फ़ बोर्ड के पूर्व चैयरमेन सलावत ख़ाँ के भाग लेने से भारतीय जनता पार्टी सकपका गई है। भाजपा को जवाब देते नहीं सूझ रहा कि हिन्दू और सूफ़ी मत को गाली देने वाले विवादास्पद वहाबी मौलाना जर्जिस के कार्यक्रम में मंत्री यूनुस और भाजपा नेता सलावत ख़ाँ ने किससे पूछ कर सहमति दी। यदि वह अपनी सहमति से शरीक़ हो रहे हैं तो क्या यह पार्टी, जनमत और राष्ट्रवादी विचार के अनुसार सही क़दम है। इस बीच क्षेत्र के बहुसंख्यक मुस्लिम समुदाय में मंत्री यूनुस ख़ाँ और बीजेपी नेता सलावत ख़ाँ के शरीक़ होने से ना सिर्फ़ नेताओं के प्रति नाराज़गी है बल्कि दबी ज़ुबान में वह यह आरोप भी लगा रहे हैं कि यूनुस ख़ाँ और सलावत ख़ाँ शुरू से ही कट्टरवादी वहाबी विचारधारा के समर्थक रहे हैं लेकिन भारतीय जनता पार्टी में बने रहने के लिए राष्ट्रवाद का ढोंग करते हैं।
ज्ञापन में सैयद बाबर अशरफ़ ने कहाकि लाडनूँ में शांति व्यवस्था क़ायम रखने के लिए मौलाना जर्जिस के कार्यक्रम पर तुरन्त रोक लगाई जाए, कार्यक्रम पर प्रतिबंध लगाया जाए, आयोजकों की जाँच कर उन पर मुक़दमा क़ायम किया जाए एवं मौलाना जर्जिस के राजस्थान आगमन पर प्रतिबंध लगाई जाए।
टेलीफ़ोन से सम्पर्क करने पर सदा-ए-सूफ़िया-ए-हिन्द के संस्थापक अध्यक्ष ने नई दिल्ली से इस बात की पुष्टि की कि यह ज्ञापन सत्य है और उन्होंने ही दिल्ली से इसे लाडनूँ के उपखंड अधिकारी के नाम पर भेजा है लेकिन राजस्थान सरकार के एक मंत्री और वक़्फ़ बोर्ड के चैयरमेन के कार्यक्रम में शरीक होने पर यह कहते हुए कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि भारत के बहुसंख्यक उदार सूफ़ी मुसलमानों की भावनाओं को मौलाना जर्जिस ने आहत किया है और हमारा उनसे विरोध है, जहाँ तर भारतीय जनता पार्टी के नेताओं का सवाल है यह उनकी अन्तरआत्मा पर निर्भर करता है कि वह इसमें शरीक होना चाहते हैं अथवा नहीं।