अजमेर । सिन्धुपति महाराजा दाहरसेन स्मारक गौरव के साथ प्रेरणा का केन्द्र भी हैं, हिंगलाज माता की पूजा अर्चना से आत्मा को शक्ति मिलती है और राष्ट्र रक्षा में बलिदान हुए ऐसे महाराजा दाहरसेन के साथ पूरे परिवार का बलिदान इतिहास में ऐसे उदाहरण कम ही मिलेगें। पूरे भारत में सिर्फ अजमेर में स्मारक होने से यहां आने पर गौरव की अनुभूति मिलती है। सनातन धर्म की प्रेरणा केन्द्र, जहां सिन्धु संस्कृति का विशाल संग्रहालय है वहीं महापुरूषों की मूर्तियां भी पूजा करने के लिए हैं। ऐसे विचार रायपुर छत्तीसगढ़ स्थित मसन्द सेवाश्रम के पीठाधीश सांई जलकुमार मसन्द ने स्मारक अवलोकन पर प्रकट किये। उन्होंने स्मारक के निरंतर विकास व होने वाले कार्यक्रमों की चर्चा पर भी प्रसन्नता प्रकट करते हुये बताया कि देश दुनिया में समाचारों के माध्यम से जानकारी मिलती है परन्तु यहां दर्शन अवश्य करने चाहिये।
दैनिक हिन्दु सिन्धी समाचार पत्र के प्रधान सम्पादक हरीश वर्यानी ने सांई जलकुमार मसन्द जी का स्वागत करते हुए बताया कि मसन्द सेवाश्रम द्वारा भारत के महान संतो के सहयोग से देश को पुनः विश्वगुरू व समृद्ध राष्ट्र बनाने के अभियान के प्रयास हो रहे हैं। सांई जी देश भर में दौरा कर रहे हैं और आज अजमेर में दाहरसेन स्मारक अवलोकन के पश्चात् ईश्वर मनोहर उदासीन आश्रम में संतों से चर्चा कर, भीलवाड़ा के लिए रवाना होगें जहां अखिल भारतीय सिन्धी सन्त समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष व हरिशेवाधाम भीलवाड़ा के श्रीमहन्त हंसराम जी उदासीन सहित अन्य संतो से भी चर्चा करेगें। स्मारक अवलोकन के पश्चात् समारोह समिति व भारतीय सिन्धु सभा के महेन्द्र कुमार तीर्थाणी, तुलसी सोनी, प्रदीप हीरानंदाणी, रमेश मेंघाणी, कमल वर्यानी, महेश मूलचंदाणी ने स्मृति चिन्ह् भेंट कर आर्शीवाद लिया।