अजमेर, 15 दिसम्बर। जिले में 31 दिसम्बर के पश्चात केबल टीवी पर एनालाॅग प्रसारण पूरी तरह से बंद हो जाएगा। इसके पश्चात एनालाॅग प्रसारण करने वाले व्यक्तियों के विरूद्ध प्रभावी कार्यवाही करते हुए उनके उपकरण सीज किए जाएगंे। शासन सचिव राजस्व की अध्यक्षता में आयोजित वीडियो काॅन्फे्रसिंग के जरिए यह निर्देश केबल टीवी डिजीटलाईजेशन के संबंध में प्रोजेक्ट की ट्रेनिंग के दौरान प्रदान किए।
अतिरिक्त जिला कलक्टर एवं केबल टीवी डिजीटलाईजेशन के प्रभारी श्री अबू सूफियान चैहान ने बताया कि एनालाॅग प्रसारण के द्वारा टीवी उपभोक्ता को 70 से 80 चैनल ही देखने को मिलते है। इनकी पिक्चर तथा साॅउड क्वालिटी उच्च स्तर की नही होने के कारण उपभोक्ता को उसके द्वारा चुकाए गए मूल्य के बराबर सुविधाएं नही मिल पाती है। उपभोक्ताओं के हितों में ध्यान रखते हुए टेलीकाॅम रेगुलेटरी आॅथेरिटी आॅफ इंडिया(ट्राई) के द्वारा डिजीटल एड्रेसेबल केबल सिस्टम (डीएएस) लागू किया गया था। इसके चार चरण निर्धारित किए गए। अजमेर सहित जिले के समस्त नगरीय क्षेत्रों में तृतीय चरण के अन्तर्गत 31 दिसम्बर 2015 तक डिजीटाईलेशन किया जाना अनिवार्य था। चतुर्थ चरण के अन्तर्गत जिले के समस्त ग्रामीण क्षेत्रों में 31 दिसम्बर 2016 तक डिजीटल प्रसारण किया जाना अनिवार्य है। इस समयावधि के पश्चात एनालोग प्रसारण पूरी तरह से अवैध रहेगा तथा प्रसारण कर्ता के विरूद्ध कार्यवाही करते हुए उनके उपकरणों को सीज किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि सेटटाॅप बाॅक्स के जरिए डिजीटल प्रसारण प्राप्त करने से टीवी उपभोक्ता को 300 से अधिक टीवी चैनल देखने को मिलेगे। इनकी पिक्चर एवं साउण्ड क्वालिटी आला दर्जे की होती है। डिजिटल प्रसारण में बहुभाषी वाॅइस सलेक्शन के माध्यम से अपनी पसंदीदा भाषा में कार्यक्रम का आंनद लिया जा सकता है। एचडी क्वालिटी की पिक्चर आंखों को सूकून देने के साथ ही गहराई भी पर्याप्त होती है। चैनल पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों की जानकारी इलेक्ट्राॅनिक प्रोग्राम गाइड(ईपीजी) से प्राप्त की जा सकती है। केबल टीवी की बैण्ड विथ 800 मेगाहर्ट्ज की होने के कारण हाई स्पीड ब्राॅड बैण्ड भी प्राप्त किया जा सकता है। इसके अलावा नये अपडेटेड गेम भी बच्चों तथा सभी उम्र के व्यक्तियों के लिए उपलब्ध रहते है।
उन्होंने बताया कि केबल टीवी नेटवर्क एक्ट के अन्तर्गत केबल टीवी चलाने के लिए डाकघर में पंजीयन आवश्यक है। प्रसारित कार्यक्रम में किसी प्रकार की काटछांट नही की जा सकती है। वर्तमान में 892 चैनल अपलिंकिंग के लिए पात्राता रखते है। इनमें से 860 चैनल को दिखाए जाने की अनुमति प्राप्त है। प्रतिबन्धित चैनलों को दिखाया जाना अपराध की श्रेणी में आता है।
उन्होने बताया कि केबल नेटवर्क की जांच करने के लिए जांच कर्ता द्वारा पूर्व में सूचना दिया जाना आवश्यक नही है। जांच कर्ता के साथ केबल टीवी धारक को पंजीयन से लेकर प्रोग्राम कोड, विज्ञापन, प्रतिबन्धित चैनल तथा जांच में सहयोग किया जाना आवश्यक है। जांच में सहयोग नही करने की स्थिति में संबंधित के विरूद्ध कानूनी कार्यवाही की जाएगी। प्रथम बार अपराध के लिए दो वर्ष सजा अथवा जुर्माना या दोनो। इसी प्रकार दूसरी बार अपराध करने की स्थिति में पांच वर्ष सजा अथवा जुर्माना या दोनों हो सकते है।
उन्होंने बताया कि आगामी माह से डिजिटल के साथ साथ इन्क्रिप्टेड (काॅडेड) फार्म में ही प्रसारण किया जा सकेंगा। एनालाॅग प्रसारण प्राप्त करने वाले टीवी उपभोक्ताओं का टीवी ब्लैक आउट हो जाएगा। केबल टीवी पर 25 दूरदर्शन के चैनल दिखाया जाना अनिवार्य है। प्रसारण कर्ताओं के उपकरण ब्यूरो आॅफ इण्डियन स्टैण्डर्डस से मान्यता प्राप्त ही होने चाहिए। एमएसओ तथा एलसीओ के मध्य इन्टर कनेक्शन एग्रीमेंट किया जाए।
इस अवसर पर सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग के उप निदेशक श्री महेशचन्द्र शर्मा, दूरदर्शन के सहायक अभियंता गजेन्द्र सिंह चैहान, सिटी नेटवर्क के फिरोज अहमद, राजपूताना केबल के हरदीप सिंह, केबल आॅपरेटर यूनियन के अध्यक्ष खेमचन्द टांक उपस्थित थे।