अजमेर जिले में बाल श्रमिकों के उत्थान के लिए कार्य कर रही स्वयं सेवी संस्थायें

अजमेर । भारत सरकार के श्रम मंत्रालय की बाल श्रमिक उन्मूलन परियोजना के तहत अजमेर जिले में 10 स्वयं सेवी संस्थायें शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रा में 19 प्रशिक्षण शिक्षा केंद्र संचालित कर रही हैं। इन केंद्रो पर जिले में चिन्हित ऐसे बच्चे जो रेस्टोरेंट, ढाबों , सड़कों, ठेलों, चाय की थड़ियों, फैक्ट्रियों, लघु उद्योगों में मजदूरी करते पाये उन्हें सर्वप्रथम शिक्षा से जोड़कर, उनके जीवन को आत्मनिर्भर बनाने के लिए रोजगार से जोड़ने के प्रयास किये जा रहे हैं।
इस परियोजना के तहत अजमेर शहर में भारतीय मानव सेवा संस्थान के सी.बी.एस.खंजन के निर्देशन में जनाना अस्पताल रोड पर रतन सिंह चिता हाउस, भील मौहल्ला व भील बस्ती सरवाड़ तथा ग्राम खीरिया में 4 केंद्रो पर 50-50 चिन्हित बाल श्रमिकों को शिक्षा से जोड़कर रोजगार करने योग्य बनाया जा रहा है। इसी प्रकार गरीब नवाज महिला अवाम बाल कल्याण समिति अंदरकोट की सचिव श्रीमती शगुफ्ता खान बड़ा पीर रोड स्थित इमरान भाई के मकान में अल्पसंख्यक बालक व बालिकाओं को साक्षरता से जोड़ने के प्रयास कर रही हैं। अपना थियेटर संस्थान दादाभाई कॉलोनी के योबी जॉर्ज चिश्तिया नगर स्थित रईस भाई के मकान में केंद्र चला रहे हैं और बच्चों को लोक कलाओं से जोड़कर रोजगार संसाधन उपलब्ध कराने के लिए प्रयासरत हैं। स्नेही विकास समिति गुलाबबाड़ी के लोकेश पचौरी गुलाबबाड़ी और कल्याणीपुरा में 2 केंद्र संचालित कर रहे हैं।
इसी प्रकार समाज जागृति विकास शिक्षण संस्थान के सुनील पटवा केकड़ी में शंभू सिंह भट्टा रोड गुर्जर बाड़ा में 2 केंद्र, ग्रामीण महिला विकास संस्थान किशनगढ़ के सचिव एस.एस.रावत ग्राम मुहामी, नोलखा और बूबानी में, श्री जमील काज़मी शिव कॉलोनी पीसांगन और लोहार बस्ती ब्यावर में 2 केंद्र, रामसर सामाजिक चेतना अवाम तकनीकी संस्थान के एस.एन.पडियार रामसर और बलाद का डेरा सामुदायिक भवन में 2 केंद्र, कांमा शिक्षा संस्कृति अवाम विकास संस्था के हरीशचंद पुरोहित कंजर बस्ती बांदनवाड़ा तथा ग्रामीण पर्यावरण समाज सेवा संस्थान के सचिव बिशनलाल वैष्णव बलाई मौहल्ला ग्राम कानपुरा में बाल श्रमिकों के उत्थान के लिए प्रयासरत हैं। इन स्वयं सेवी संस्थाओं द्वारा जिले में चिन्हित 950 बाल श्रमिकों को राष्ट्र के विकास की मुख्य धारा से जोड़ने के प्रयास हो रहे हैं। इन स्वयं सेवी संस्थाओं की समस्या यह भी है कि काफी निगरानी और सुव्यवस्थित प्रबंधन के बाद भी बच्चे पलायन कर जाते हैं।

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