अजमेर । राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायाधिपति श्री नरेन्द्र कुमार जैन ने आगामी अक्षय तृतीया एवं पीपल पूर्णिमा के पर्व पर अबूझ सावे के महूर्त पर होने वाले बाल विवाहांे विशेष कर ग्रामीण क्षेत्रों में होने वाले आयोजनों के प्रभावी रोकथाम के लिए शीघ्र उचित कार्यवाही प्रभाव में लाने को आवश्यक बताया है। आगामी 12 मई 2013 को अक्षय तृतीया और उसके पश्चात पीपल पूर्णिमा का पर्व है।
प्राधिकरण की ओर से सचिव अभय चतुर्वेदी द्वारा जारी पत्रा में बताया गया है कि गत वर्ष भी सम्पूर्ण राज्य के विभिन्न जिला, तालुका व पंचायत समिति क्षेत्रों में अक्षय तृतीय के अवसर पर विशेष विधिक साक्षरता कार्यक्रम आयोजित कर बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के संबंधित प्रावधानों के प्रभावी क्रियान्वयन पर बल दिया गया था। विभिन्न प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा भी इस पर प्रभावी कार्यवाही की गई।
राज्य सरकार द्वारा प्रत्येक उपखण्ड अधिकारी को बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी घोषित किया हुआ है जिन्हें अधिनियम के तहत असीमित अधिकार भी दिये गये हैं। जिसके तहत ऐसे अधिकारी ऐसे कोई भी निर्देश जारी कर सकते हैं जिन्हें वे उचित समझते हैं। निमंत्राण पत्रा पर वर-वधू की जन्म तारीख सुनिश्चित करने के लिए जन्म प्रमाण पत्रा की प्रति अपने पास रखें अथवा जन्म तारीख का अंकन निमंत्राण पत्रा पर अंकित करायें।
इसी क्रम में तहसील, उपखण्ड व जिलास्तर पर सार्वजनिक स्थान, पुलिस थाना, नगरपालिका कार्यालय, प्रशासनिक विभागों के कार्यालयों पर सूचना बॉक्स भी लगाये जिसे निर्धारित व्यक्ति द्वारा प्रतिदिन खोला जायें । नियंत्राण कक्ष भी खोला जाना आवश्यक होगा। बाहर सूचना के बैनर लगवाये जिस पर उल्लेख हो “बाल विवाह अपराध“, विवाह की उम्र “लड़की के लिए 18 वर्ष तथा लड़के के लिए 21 वर्ष अनिवार्य है“ । बाल विवाह को सुगम बनाने के लिए सहयोग करने वाले सभी व्यक्तियों जिनमें हलवाई, बैन्ड वाले, पंडित, बाराती, माता-पिता आदि को होने वाली सजा व जुर्माना के प्रावधानों की भी जानकारी देने के लिए प्रावधान हो जिससे बाल विवाह होने की स्थिति पैदा न हो। प्राथमिक माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालय स्तर पर भी बाल विवाहों के दुष्ट परिणामों व इससे संबंधित विधिक प्रावधानों की जानकारी दिये जाने पर सकारात्मक परिणाम संभव है।