शासन सचिव ने अधिकारियों को निर्देशित किया

अजमेर। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के प्रमुख शासन सचिव ने एक परिपत्रा जारी कर कहा है कि बाल विवाह एक सामाजिक कुरीती है जिसे रोकना हमारा वैधानिक दायित्व ही नहीं नैतिक कर्तव्य भी है। बाल विवाह के कारण केवल बाल वर-वधू का ही नहीं अपितु आगामी पीढ़ियों का भी विकास अवरूद्ध हो जाता है जिसके परिणाम प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से संपूर्ण मानव समाज को भुगतने होते हैं।
प्रमुख शासन सचिव ने अपने विभाग में जिलों में पदस्थापित विभिन्न अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे अपने क्षेत्र में ऐसा वातावरण बनाये कि बाल विवाह जैसी कुरीती का कोई स्थान नहीं हो। यह कुप्रथा मात्र सरकार के प्रयासों से ही समाप्त नहीं होती, इसके लिए सामूहिक प्रयास करने होंगे। समुचित शिक्षा एवं जनचेतना की कमी के कारण ही विशेषतया ग्रामीण क्षेत्रों में बाल विवाह होते हैं।
बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के अंतर्गत बाल विवाह में परोक्ष या अपरोक्ष सहयोग करने वाले जैसे बालक-बालिका के माता-पिता, परिजन इसमें सम्मिलित होने वाले व्यक्ति, पंड़ित, नाई, बैंडवादक,हलवाई, वाहन चालक आदि के साथ-साथ इसकी अनदेखी करने वाले राजकीय कार्मिकों के विरूद्ध भी दंडात्मक प्रावधान किये गये हैं परंतु मात्र वैधानिक प्रावधान करने मात्र से यह कुरीती समाप्त नहीं की जा सकती है। इसके लिए राज्य के प्रत्येक नागरिक व बच्चे को बाल विवाह से होने वाले दुष्प्रभावों की जानकारी हो ।
उन्होंने स्पष्ट किया कि विभाग में जिला स्तर पर अनेक इकाईयां कार्यरत हैं जिनके माध्यम से
बाल विवाह जैसी कुप्रथा को समाप्त करने के लिए माहौल बनाया जाये।

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