यह रुतबा अमेठी वालों को ही नसीब है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से आज लोगों ने राष्ट्रीय राजमार्ग की बदहाली की शिकायत की। राहुल गांधी ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधिकारीयों को तलब करके अपनी अमेठी के लोगो को आश्वस्त किया कि सड़क परिवहन मंत्री आयेंगे। उनका कहना भर था कि केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री ऑस्कर फर्नांडीज का कार्यक्रम आ गया। रात में खबर आयी कि फर्नांडीज साहब कल रायबरेली-अमेठी पंहुच रहे हैं।
ऐसा पहले भी हुआ है। लोगों की शिकायतें गांधी दरबार ने हांथो-हाथ ली है। भले गांधी परिवार पर रायबरेली-अमेठी कि समस्याओं की अनदेखी के आरोप लगाये जाएँ लेकिन सच यह है कि जो प्रसिध्दी सोनिया और राहुल गांधी की वजह से इन दोनों चुनाव क्षेत्रों को मिली है उसकी एकमात्र वजह गांधी परिवार ही है। जितना यह सच है कि दोनों क्षेत्रों में आज भी ढेर सारी समस्याएं हैं उतना ही सच यह भी है कि दोनों क्षेत्रों में जो भी विकास हुआ है वह सोनिया-राहुल के द्वारा ही। राजनीति के दंगल में हाथ आजमाने अमेठी से उतरने की सोच रहे आम आदमी पार्टी के नेता कुमार विश्वास ने अपने पहले दौरे में ही यह सवाल उठाया कि 10 वर्षों में केंद्र से भेजे गए 53 हजार रुपयों का राहुल गांधी को हिसाब देना चाहिए। यह सिक्के का एक पहलु है। माना कि कुछ विकास के कामों में रुपयों का दुरपयोग हुआ होगा लेकिन केंद्र से भेजी गई इस रकम से सारे काम केंद्र की एजेंसियों ने तो किये नहीं। बहुत से काम राज्य के अधीन आने वाले विभागों ने भी कराये। जानने वाले जानते हैं कि रायबरेली-लालगंज रोड की 7-8 साल पहले हालत क्या थी। केंद्र सरकार ने रोड के निर्माण के लिए कई करोड़ रूपये दिए और एक माफिया के दबाव और कमीशनबाजी में रोड निर्माण की गुणवत्ता कितनी प्रभावित हुई। बाद में खुद सोनिया गांधी ने बरेली की एक जनसभा में सड़क निर्माण की गुणवत्ता पर नाराजगी जाहिर की और तब की राज्य की सपा सरकार ने जाँच कराइ और 70 से ज्यादा इंजीनीयर एवं ठेकेदार नाप गए थे। यह तो एक उदहारण है।
अब सिक्के के दूसरे पहलू पर गौर करें। अगर विश्वास की बात पर ही हम भरोसा करें और एक जिम्मेदार विपक्ष से उम्मीद भी है कि उसने होम वर्क के बाद ही ऐसा बयांन दिया होगा तो सवाल उठता है कि केंद्र ने 53 हजार रुपये भेजे तो किसके कहने पर। फिर राहुल गांधी पर अपने घर कि उपेक्षा का आरोप कहाँ साबित होता है। यह सच है कि इन दस वर्षों में केंद्र सरकार ने रायबरेली-अमेठी में काफी विकास के काम किये। अकेले अमेठी में 53 हजार कि परियोजनाओ की बात तो कुमार विश्वास ही जाने लेकिन दोनों क्षेत्रों में दस वर्षों में 25 हजार से कम के काम नहीं हुए होंगे। अब सोनिया-राहुल के अलावा कौन इतना काम करा सकता है। आरोप लगाने को कोई भी लगाये यह रायबरेली हो या अमेठी दोनों क्षेत्रों में रहने वाले यह कहते भी हैं और मानते भी।
गौरव अवस्थी
दरअसल , नेताओ को कुछ भी बोलने की आदत होती है। आप के संस्थापक अरविन्द केजरीवाल ने चुनाव के पहले दिल्ली की शीला दीक्षित सरकार के खिलाफ एक आरोप-पत्र जारी कर जनता को बताया कि कितने हजार (हम वह संख्या क्यों लिखे ) रूपये का घोटाला हुआ है। चुनाव बाद दिल्ली में सरकार बन्ने पर वही केजरीवाल कहने लगे कि हमने वह आरोप-पत्र मीडिया की ख़बरों के हवाले से तैयार किया था। अब हम जाँच कराएँगे कि कितने करोड़ का घोटाला हुआ है और उस आधार पर शीला दीक्षित के खिलाफ कारवाई की जायेगी। यहाँ यह सवाल उठना लाजिमी है कि चुनाव के पहले अगर मीडिया की रिपोर्ट सही थी तो सत्ता में आते ही वह झूठी कैसे या अविश्वसनीय क्यों हो गयी और अगर सत्ता में आने के बाद उस पर विश्वास करना मुश्किल है तो पहले उस आधार पर आरोप-पत्र जारी क्यों किया गया।