
मोदी के मिशन 272+ को रोकने के लिए ताल ठोक रहे अरविन्द केजरीवाल भले ही मोदी मिशन का कुछ बिगाड़ पाये या नहीं, पर हाँ भाजपा के कई क्षत्रप अपनी हरकतों व अपनी मनमानी से अपने ही पारम्परिक वोट बैंक की भावनाओं को आहत कर पार्टी के मिशन 272+ की हवा जरुर निकाल देंगे|
ताजा उदाहरण राजस्थान का देखा जा सकता है, राजस्थान में राजपूत समुदाय भाजपा का पारम्परिक वोट बैंक रहा है, लेकिन इस बार राजस्थान भाजपा की अप्रत्याशित जीत ने वसुंधरा राजे को निरंकुश बना दिया है, इसी निरंकुशता के चलते राजे ने अपने पारम्परिक वोट बैंक राजपूत समुदाय की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करते हुए शेखावाटी आँचल में बनने वाले शेखावाटी विश्व विद्यालय का नामकरण कर दीनदयाल उपाध्याय विश्व विद्यालय कर दिया| जबकि शेखावाटी के आम निवासी व राजपूत समुदाय इस विश्व विद्यालय का नाम शेखावाटी के संस्थापक राव शेखा के नाम से करवाने की मांग करते आ रहे थे| राव शेखा शेखावाटी में निवास करने वाले राजपूत वंश के प्रवर्तक है और सभी शेखावत राव शेखा के वंशज है अत: राजपूत समाज की भावनाएं उनसे जुडी हुई है| इन चुनावों में भाजपा ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में भी इस यूनिवर्सिटी का नाम राव शेखा के नाम पर करने की घोषणा की थी जिसकी ख़बरें विभिन्न अख़बारों में भी छपी थी लेकिन बीच चुनाव यह घोषणा चुनाव घोषणा पत्र से चुपचाप हटा दी गई| और सरकार बनने के बाद यह मांग दरकिनार करते हुए विश्व विद्यालय का नामकरण दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर कर दिया गया|
सरकार की इस हरकत से शेखावाटी के राजपूत समुदाय के साथ अन्य समुदायों में भारी रोष है, राजपूत समाज के जागरूक युवा भाजपा की इस हरकत का बदला चुकाने के लिए पार्टी लाइन से हट कर लोकसभा चुनावों में शेखावाटी की कई सीटों पर भाजपा को चुनाव हराने का मंसूबा पाले बैठे है|
ऐसे में सीकर, चुरू, झुंझुनू व जयपुर की सीटों पर खासा असर पड़ेगा जहाँ शेखावत राजपूत व उनके रिश्तेदार काफी संख्या में है और इस क्षेत्र में भाजपा का वजूद भी राजपूत समुदाय के इकतरफा वोट बैंक के चलते बना हुआ है| सोशियल साइट्स पर कई राजपूत लेखक इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखते है कि- पूर्व में राजस्थान में वसुंधरा राजे के पूर्वजों को युद्ध में बुरी तरह हराया गया था जिसमें शेखावाटी क्षेत्र के राजपूतों का भारी सहयोग था सो अब वसुंधरा अपने पूर्वजों की उस हार का बदला चुकाने में लगी है| ज्ञात हो अपने पूर्ववर्ती शासनकाल में वसुंधरा राजे उस जगह भी गई थी जहाँ उसके पूर्वज युद्ध हारे थे| जिससे आम लोगों में संदेश गया कि पूर्वजों की उस हार का दर्द आज भी राजे को है|
खैर…पूर्व में जो कुछ भी हुआ हो पर इतना तय है कि इस विश्व विद्यालय का नाम बदलना भाजपा के मिशन 272+ को भारी जरुर पड़ेगा| पर उससे राजे को क्या लेना देना ? उनके तो पांच साल पक्के हो ही गये|
thanks sir es news ke liye