केजरीवाल के नाम पत्र

प्रिय अरविंद,

beenu guptaमै आप की और ‘आप’ की की समर्थक हूं, पर अंधभक्त नहीं! अरविंद और ‘आप’ की साफ़ नीयत पर मुझे कभी संदेह नहीं हुआ पर कुछ ग़लतियां तो हुई हैं, जिनकी वजह से ‘आप’ को पर्याप्त सीटें नहीं मिली। सिर्फ नीयत साफ़ होने से आप संसद में नहीं आ सकते और संसद में आये बिना आप कुछ कर नहीं सकते। संसद मे आने के लिये जनता का भरोसा जीतना और अपनी बात जनता तक सही तरह से पहुंचाना बहुत ज़रूरी है। राजनीति में ठहराव की भी ज़रूरत है, जल्दबाज़ी और भावुकता मे निर्णय लेना महंगा पड़ सकता है।

सबसे पहले तो दिल्ली मे सरकार बना ही ली थी तो छोडते नहीं, लोकसभा के चुनाव के समय आपकी सरकार गिराई जाती तो जनता आपके साथ रहती।दूसरी बात आपके पास साधन कम थे और अभी अभी राजनीति में आये हैं, तो आपको 50 से ज़्यादा सीटों से लोकसभा चुनाव नहीं लड़ना चाहिये था।तीसरी बात यद्यपि हर पार्टी भ्रष्ट नेताओं से भरी है फिर भी बिना अपने पैर जमाये, बिना समुचित सबूत के, सबको भ्रष्ट नहीं कहना था इससे आपकी विश्वसनीयता पर विपरीत प्रभाव पड़ा है। चौथी बात आपको बनारस से चुनाव नहीं लड़ना चाहिये था, वह शक्ति और पैसा दूसरे उम्मीदवारों पर खर्च करना चाहिये था। अंतिम बात कि मीडिया चाहे जैसा हो उससे लड़ाई मोल लेना आपके लिये भारी पड़ा है। आपकी बात वही जनता तक पहुंचाते हैं। आप का और ‘आप’ का पूरे मीडिया ने निषेध करके जनता की निगाहों से दूर रखा और यहां जो दिखता है, वही बिकता है।हम आप जैसे ईमानदार नेता और ‘आप’ जैसी पार्टी को विलुप्त होते हुए नहीं देखना चाहते, इसके लिये बिना अपनी ईमानदारी और सिद्धांतों से समझौता किये आपको दुनियादारी सीखनी होगी, आदर्शवादी बने रहकर भी आप ये कर सकते हैं। आपको हमारी उम्मीदों पर खरा उतरना है। शुभकामना सहित।
-बीनू भटनागर
http://www.pravakta.com

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