आर.एस.एस. भ्रष्टाचार पर पहल करें

s n singh
s n singh

10 अगस्त का मैं प्रातःकाल 07ः30 से 08ः30 बजे तक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आर.एस.एस.) के छह महत्वपूर्ण पर्व में से एक रक्षा बन्धन पर्व पर सम्मिलित हुआ। संघ के स्थानीय प्रचारक हरिसिंह जी का बौद्धिक व्याख्यान सुना। उन्होंने संक्षिप्त और सारगर्भित संबोधन दिया। अपने संबोधन में उन्होंने देश की आन्तरिक स्थिति, हिन्दू समाज की विकृतियों में सुधार, धर्मन्तरण, देश में बढ़ते आन्तकवाद और हिंसा की काफी चर्चा की। मैं उनके सम्भाषण को उत्सुकता पूर्वक इस उम्मीद से सुनता रहा कि भ्रष्टाचार निवारण के विषय पर संघ के कार्यकर्त्ताओं की भूमिका पर चर्चा करेंगे। आगे उन्होंने अपने पड़ोसियों को जानने, मुहल्ले में अनजान चक्कर लगाने वालों से नाम, पता पूछने की सलाह दी। उनका कहना था कि यदि आप सजग होकर अपने इर्द-गिर्द होने वाली हलचल पर ध्यान देंगे तो आपके मुहल्ले, शहर और देश में आन्तकवाद, चोरी-लूट खसोट, और अन्य अनैतिक गतिविधियों पर नियन्त्रण हो सकेगा।
रक्षा बंधन के इस समारोह के बाद जब मैंने उनसे पूछा कि आपने अभी चर्चा में जिस तरह से आन्तकवाद रोकने के लिए स्वयंसेवकों को अपने पड़ौसियों को जानने, मुहल्ले में आने वाले नये लोगों तथा घूमने वालों पर नज़र रखने के लिए कहा है और कुछ अटपटा लगने पर पुलिस और प्रशासन को स्वयं के फोन से, मोबाइल से या ई-मेल से सूचित करने की सलाह दी है वैसा ही आप-पास में रहने वाले, कार्यालय-व्यापार में भ्रष्टाचार करने वालों की भी सूचना देने के लिए क्यों नहीं कहा? मेरा उनसे यह आग्रह था कि आप और संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी जब स्वयं सेवकों को ऐसा निर्देश दे कि स्वयं भ्रष्टाचार न तो करे या करने दे और उसे उजागर करें तो यह हर तरह के भ्रष्टाचार को रोकने में सहायक होगा।
तब प्रचारक महोदय ने मुझसे कहा, प्रोफेसर साहब कुछ जिम्मेदारी का निर्वहन तो आपको भी करना चाहिए। आप इससे जुड़ी बातें हमें और प्रेस को लिखे कि संघ किस तरह से भ्रष्टाचार निवारण में योगदान दे सकता है। उन्होंने आगे कहा कि संघ की पूरे देश में 45 हजार शाखायें है और विभिन्न क्षेत्रों में उनके स्वयं सेवा कार्य करते है। देश के सुदूर अंचल जैसे पूर्वोत्तर-आदिवासी बहुल्य क्षेत्र और कश्मीर के आन्तकवादी क्षेत्रों में संघ के स्वयं सेवक शिक्षा, स्वास्थ्य और राष्ट्र के निर्माण की अनेक योजनाओं को निस्वार्थ भाव से चला रहे हैं। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने भ्रष्टाचार विरोधी सभी आन्दोलनों में जैसे बिहार-गुजरात का जयप्रकाश (जे.पी.) आन्दोलन (1974-76) हो या अन्ना हजारे का आन्दोलन (2011-12) सभी में भाग लिया है। लेकिन आप आन्दोलनकारी नहीं, मुखबिर बनकर भ्रष्टाचार निवारण अधिकारी को सूचित करने या लिखित शिकायत करने की बात कह रहे है। आपकी बात तो सटीक है। जब हम इतनी चिन्ता रखते है कि बस या ट्रेन में कोई बम तो नही है तो फिर हम यह क्यों नहीं देखे कि देश की अर्थव्यवस्था को खोखला करने वाले, गरीबों के विकास के सरकारी पैसे हजम करने वाले, टैक्स चोरी करने वाले, घटिया निर्माण करने वाले, खाद-बीज, दवाईयों में मिलावट करने वाले और जमाखोरी कर मंहगाई बढ़ाने वालों की शिकायत क्यों नहीं करें?
मेरा भी उनसे यही तर्क था कि सिर्फ कानून बना देने, सरकारी महकमा बना देने से भ्रष्टाचार की जड़ जो पूरे देश के गली-मुहल्लों तक में फैली है, उसे नहीं मिटाया जा सकता है। इसके लिए घूस नहीं लेने और नहीं देने का वादा करना ही काफी नहीं है। आवश्यकता है जनजागरण की, लोगों को सजग करने की। यह काम संघ के निर्देश पर सम्भव हो सकता है। संघ के निर्देश पर स्वयंसेवक देश की सीमाओं की रक्षा करते है, बाढ़-पीड़ितों और अन्य प्राकृतिक आपदाओं एवं मानव निर्मित संकटों में आम जनता के रक्षार्थ काम करते हैं। भ्रष्टाचार भी एक मानव निर्मित त्रासदी है। इस भ्रष्टाचार के खिलाफ सभी स्वयं सेवकों की सिर्फ भ्रष्टाचारी बारे में सूचना देने की भागीदारी भी हो तो देश में भ्रष्टाचार काफी सीमा तक खत्म हो सकता है। इससे गरीबों का सरकारी पैसा उनको मिल सकेगा। घटिया निर्माण कार्य और जमाखोरी पर रोक लगेगी। जब संघ के निर्देश पर स्वयं सेवक घर से निकालकर मतदाताओं को मतदान केन्द्र तक पहुँचाने का कार्य करता है इसी तरह यदि संघ पहल करें तो भ्रष्टाचारियों को भी पकड़वाकर जेल तक पहुँचाया जा सकता है। इसके लिए कोई बजट या नये कानून की जरूरत नहीं है सिर्फ संघ प्रमुख का निर्देश-मार्गदर्शन अपना कार्य करेगा। विश्व हिन्दू परिषद की 50वीं वर्षगाँठ पर डॉ. प्रवीण भाई तोगड़िया जब त्रिशूल के जगह गरीबों और गरीबों को बस्ती में दवाई बंटवाने लगे है तो संघ भी भ्रष्टाचार निवारण का कार्य अपने हाथ में लेकर प्रधानमंत्री मोदी जी के सपना ”सब का साथ – सब का विकास“ करवा सकते हैं।
प्रो. एस.एन. सिंह,
विभागाध्यक्ष राजनीति विज्ञान विभाग
डीन सामाजिक विज्ञान संकाय,
महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय अजमेर।
मो.ः09352002053, email:[email protected]

error: Content is protected !!