
मूल: पारू चावला
ख्वाब ऐं हक़ीक़त
तूँ ऐं माँ प्यार जा साथी
राह ते हलंदे हिक ब्ये जा रहबर
कडहिं तो मुखे सँभालियो –
कडहिं मूँ तोखे झले वरतो
ख़्वाब त रहियो ख़्वाब
हक़ीक़त में छा ईंअ जियूँ था?
पता: माहिम नवजीवन सोसाइटी, मुंबई।

हिन्दी अनुवाद: देवी नागरानी
ख़्वाब और हक़ीक़त
मैं और तुम
प्यार के साथी
एक दूसरे के रहबर
कभी तुमने मुझे संभाला
कभी मैंने तुम्हें थाम लिया
ख़्वाब तो रहा ख़्वाब
हक़ीक़त में क्या यूँ जीते हैं?
पता: ९-डी॰ कॉर्नर व्यू सोसाइटी, १५/ ३३ रोड, बांद्रा , मुंबई ४०००५० फ़ोन: 9987938358