
भारत के बहुप्रतीक्षित प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठ सबके इंतजार को समाप्त कर ही दिया । कुर्सी सँभालने से लेकर अब तक की इस अल्प अवधि में उन्होंने विदेश यात्राएँ की , सकारात्मक वार्तायें भी की , भारत में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए हरसंभव प्रयास भी किये । मगर “स्वच्छ भारत अभियान ” की शुरुआत कर इसे जनआन्दोलन बनाने का सामर्थ्य जो मोदी ने किया है , वो बेहद अनुकरणीय है ।
इस बीच यह प्रश्न उठता है कि सिर्फ कचरा साफ करने से भारत स्वच्छ हो जायेगा ? देश की तमाम समस्यायें दूर हो पायेगी ?
आज देश की वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए अनेक चुनौतियों का आभास होता है , उन चुनौतियों पर विजय प्राप्त कर लक्ष्य को यदि प्राप्त कर लिया जाये तो भारत को “सम्पूर्ण रूप से स्वच्छ ” कहने में कोई संकोच नही होगा ।
2 अक्टुम्बर को महात्मा गाँधी के जन्म दिवस पर इस अभियान की शुरुआत की गयी । अहिंसा के पथ पर चलकर बापू ने स्वत्रंतता संग्राम की बागडोर संभाली थी । क्या हम उस बापू के आदर्शो एवम पथ चिन्हों का भली – भाँति अनुसरण कर रहे है ?
देश को आज सिर्फ कचरे की सफाई की आवश्यकता नही है , अपितु देश को आज “भ्रष्टाचार,आतंकवाद, हिंसा , , बेरोजगारी ,महंगाई जैसी अनेक समस्याओ की सफाई की आवश्यकता है । भ्रष्टाचार आज अपनी जेड मजबूत कर देश भर में अपने पाँव पसर चुका है , महंगाई अपनी चरम सीमा पर है , आतंकवाद और हिंसा दिनोदिन बढती जा रही है । किसी ने उक्त पंक्तिया ठीक लिखी है –
ये कैसे कहा की हम स्वत्रंत हो गये,
” हिंसा और आतंकवाद ” पर उतारू हम हो गये ।
“भ्रष्टाचार” की अंधी दौड़ में हम ,
बिना ही कफ़न के दफ़न हो गये ” ।
देश को आज इन समस्याओ की सफाई की आवश्यकता है । आवश्यकता है मानसिक रूप से विचारो की सफाई की । कूड़े कचरे को साफ करने से भारत सोने की चिड़िया नही बनेगा , मगर तमाम राष्ट्रीय एवम सामाजिक समस्याओ को हटा इस देश की सफाई कर दी जाये तो वो दिन दूर नही ‘ जब भारत विश्व गुरु के सिंहासन पर आरूढ़ हो समस्त विश्व को ललकारने में सक्षम हो जायेगा एवम एक संगठित एवम वास्तविक रूप से स्वच्छ राष्ट्र बन पायेगा । इसे जनआंदोलन बना प्रत्येक नागरिक को अपने कर्तव्य का बोध करा सकारात्मक सोच के साथ समस्याओ की सफाई कर इस देश के विकास में भागीदार बनना चाहिए ।
– उज्जवल जैन , सरवाड