
किसी गाँव में एक मजदूर अपनी धर्मपत्नी और दो बच्चो के संग रहता था। मजदूर अपनी रोजी रोटी कर अपना घर चला रहा था। मजदूर जब भी रोटी कर आये वह अपने पैसे का कुछ हिस्सा निकाल कर अपने बस्ती के कुत्तो को बिस्कुट खिलआता था। ये सब बाते उसकी पत्नी को नही पता था। एक दिन उसके बच्चे स्कुल से आ रहे थे तब उन्होंने देखा की उसके पिता कुत्तो को बिस्कुट खिला रहे तब ये साड़ी बाते जाकर अपनी माँ को बता देती। तब मजदूर जब अपने घर जाता है तो उसकी धर्मपत्नी उसे चिल्लाती हुई कहतीहै”घर में पैसे नही और बहार में कुत्तो को बिस्कुट खिला रहे हो ” ये सारी बाते को लेकर मजदूर और उसके धर्मपत्नी के बीच झगड़ा हो जाता है ,फिर भी मजदूर उन जंगली कुत्तो को बिस्कुट खिलता है। एक दिन उसके गाव में मेला लगा रहता है उसके घर में उनके बाल बच्चे भी मेला जाने के लिए अपने पिता जी से बोलते है “तब मजदूर कहता है “अं जब शाम को काम से आऊंगा तब हम सब मेला जाएंे ” घर में सब उत्साहित रहता है और शाम को मजदूर काम से आने के बाद पुरे परिार के साथ ,घर में ताला लगाकर जाता है। तभी एक चोर टाक में रहता है और उन सब के जाने के बाद उसक घर के पास जाकर चोरी करने की कोसिस करता है। तभी एक कुत्ता जिसे मजदूर बिस्कुट खिलाया करता था वह उसे देख लेता है और भोकने लगता है। और उसके पास जाकर उसे रोकता है और उसे काट देता है। तब वह चोर अपने पॉकेट से एक धार वाली चाकू निकालकर उसे मार देता है। और वह वहा से भाग जाता है। जब मजदूर मेला घूम कर आता है आता है तब वह देखता है की एक कट्टा इसके दरवाजा में गंभीर अवस्था में पडा है तब मजदूर उसे अपने सीने में लगा कर उस सहर क एक डॉक्टर के पास ले जाकर उसकी इलाज कराता है। और उस कुत्ते की जान को बच्चाता है। और घर में आकर अपनी धर्मपत्नी को आकर कहता देख आज उसे मैं सिर्फ बिस्कुट खिलता था आज उसी कुत्ता ने हमारे घर की रक्छा की। और अंत में उस कुत्ते को वो अपने घर में पाल लेता है