
आमिर खान और राजू हिरानी की फिल्म PK के कारण देश की राजधानी दिल्ली सहित देश भर में जगह-जगह हिन्दू धर्म के संगठनों द्वारा फिल्म के खिलाफ प्रदर्शन किया जा रहा हैं, PK फिल्म को प्रदर्शित करने वाले सिनेमाघरों में तोडफोड की जा रही हैं ऐसे अतिउत्साही फिल्म के विरोधी लोगों द्वारा तोडफोड करने से जनता की सम्पत्ति का नुकसान तो हो ही रहा है और देश की कानून व्यवस्था बिगड रही है लेकिन PK फिल्म के निर्माताओं को इसका फायदा जरूर हो रहा हैं। दस दिन में 247करोड़ रूपये से अधिक का कारोबार करना अपने आप में एक मिसाल हैं ।
च्ज्ञ फिल्म को लेकर इतना हंगामा होने के बाद सामान्य लोगों के मन में यह जिज्ञासा उत्पन्न हो रही हैं कि च्ज्ञ फिल्म में ऐसा क्या हैं जो विवाद का कारण बन रहा हैं और अपनी इस जिज्ञासा को शान्त करने के लिये विरोध होने के बाद भी लोग उत्सुकतावश फिल्म को देखने जा रहे है। इसी कारण फिल्म बॉक्स ऑफिस पर हिट होकर कमाई करने में रिकॉर्ड बना रहीं हैं। क्या इन सब घटनाओं से ऐसा नहीं लगता कि इन सब घटनाओं को बढावा देने में कही ना कही फिल्म के निर्माताओं का योगदान हैं ? क्योकि ऐसा करने से च्ज्ञ फिल्म का बढ चढकर प्रचार हो रहा हैं और इसका फायदा निश्चित रूप से च्ज्ञ फिल्म के निर्माताओं को मिल रहा हैं अतः इससे यह भी शंका होती हैं कि यह सारी कारस्तानी कहीं फिल्म वालों ने की हो ?
PK फिल्म का पक्ष लेते हुए सेंसर बोर्ड की अध्यक्ष लीला सैमसन ने कहा कि फिल्म को रिलीज किया जा चुका हैं हरेक फिल्म किसी ना किसी की धार्मिक भावनाओं को आहत कर सकती हैं इस पर हम दृश्य हटाकर किसी की रचनात्मकता को खत्म नहीं कर सकते। सैमसन द्वारा इस प्रकार का गैर जिम्मेदाराना वक्तव्य कहना यह सिद्व करता हैं कि सेंसर बोर्ड फिल्म के निर्माता, निर्देशक और फिल्म के कलाकारों के व्यक्तित्व से हमेशा कि तरह प्रभावित रहा हैं।
फिल्म के निर्माताओं के बारे में कहा जा रहा है कि PK फिल्म के माध्यम से वे हिन्दू धर्म की धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड कर हिन्दुत्व की धार्मिक आस्थाओं को ठेस पंहुचा रहे है और हिन्दू देवी-देवताओं को अपमानित कर रहे है। बाबा रामदेव ने भी इनका समर्थन करते हुए कहा कि ईसाई या मुस्लिम धर्म के बारे में कुछ भी कहना हो या कुछ भी दिखाना हो लोग सौ बार सोचते है लेकिन हिन्दू धर्म के बारे मेें बिना सोचे समझे जो मन में आता हैं वो कह दिया जाता है और दिखा दिया जाता हैं यह शर्मनाक हैं ऐसी फिल्म और फिल्म से जुड़े लोगों का बहिष्कार किया जाना चाहिये ।
राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के सरसंग चालक मोहन भागवत ने भी कहा हैं कि हिन्दू धर्म की आस्थाओं पर अंग्रेजों के समय से ही चोट होती आ रही हैं एंव देश के आजाद होने के बाद भी यह जारी हैं और लेकिन हद तब हो गयी जब सुदर्शन चैनल पर PK फिल्म के खिलाफ प्रदशर्न किया गया तब सुदर्शन चैनल के सुरेश चव्हाण को फिल्म वालों की तरफ से धमकी वाले मैसेंज दिये गये।
आमिरखान की च्ज्ञ फिल्म को लेकर सुब्रह्यण्यम स्वामी, बाबा रामदेव के अलावा हिन्दू धर्म के तमाम संगठनों जैसे विश्व हिन्दू परिषद, हिन्दू एकता मंच, बंजरग दल के कार्यकर्ता PK फिल्म में कथित विवादित दृश्यों को लेकर बहिस्कार कर रहे हैं खिलाफ प्रदशर्न कर रहे है। दिल्ली, ठाणे, हैदराबाद इत्यादी कई जगह में हिन्दू धर्म के समर्थक पुलिस थानों और कोर्ट में फिल्म के खिलाफ मुकदमें और शिकायते कर रहे हैं। फिल्म का प्रदर्शन रोकने के लिये फिल्म का विरोध करना, फिल्म के पोस्टर फाडना, सिनेमाघरों में तोडफोड करने वाले व्यवहार को उचित नहीं ठहराया जा सकता हैं।
ऑल इंड़िया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद राशिद फिंरगी और इमाम काउंसिल के मकसूद कासमी भी च्ज्ञ फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की मंाग का समर्थन कर रहे हैं वहीं भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवानी जो कि संघ से जुड़े हुए है ने PK फिल्म की प्रसशंा की है और हमारे उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने तो सभी विरोध एंव आन्दोलनों को दरकिनार करते हुए इससे एक कदम आगे बढ कर PK फिल्म को प्रोत्साहन देते हुए इसे टैक्स फ्री तक कर दिया। जब च्ज्ञफिल्म को प्रदर्शित करने वाले सिनेमाघरों में तोडफोड किया जा रहा हैं तो ऐसे समय मेें उत्तरप्रदेश की सरकार द्वारा अपने राज्य में PK फिल्म को टैक्स फ्री करने का आदेश देने का क्या अर्थ हो सकता है उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव आखिर कोनसी सियासी चाल हो सकती हैं।
च्ज्ञ फिल्म के निर्माण को लेकर भाजपा नेता सुब्रह्यण्यम स्वामी ने ट्विट पर बताया कि आमिर खान की फिल्म PK में दुबई और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का पैसा लगा है , इसकी जंाच करवानी चाहिए । लोगों के मन में इस फिल्म को देखने का उत्साह हैं वहीं तमाम हिन्दू संगठनों द्वारा इस फिल्म का विरोध किया जा रहा हैं।
भारत के आम नागरिक को सच जानने का अधिकार है और यह तभी जाना जा सकता हैं की जब इस फिल्म से संबधित जिम्मेदार लोगों को एक मंच पर बुलाया जाये, मंच के एक तरफ फिल्म का विरोध कर रहे संगठन के नेताओं को बैठाया जाये, मंच के दूसरी ओर हिन्दू धर्म के साथ अन्य धर्म के विद्वानों को बैठाया जाये और मंच के तीसरी ओर फिल्म के निर्माताओं को बैठाकर पूरी फिल्म दिखायी जाये। फिल्म के विरोधियों द्वारा फिल्म के जिस अश्ंा पर ऐतराज जताया जाता हैं और यदी इसकी पुष्ठि धर्मिक विद्वानों द्वारा भी की जाती हैं तो फिल्म के उन अशों को फिल्म से निकालने के लिये उसी समय फिल्म निर्माता एंव निर्देशक को निर्देश देकर उन दृश्यों एंव संवादों को फिल्म से निकालवाया जाये एंव सर्वमान्य फिल्म को ही रिलीज किया जाये। यदी फिल्म के निर्देशक निर्माता इसके लिये तैयार नहीं होते हैं तो फिल्म के प्रदर्शन पर तत्काल रोक लगायी जानी चाहिये ताकि हमारे समाज का माहौल ना बिगडे इस प्रकार की कार्यवायी च्ज्ञ फिल्म पर ही नही बल्कि प्रत्येक उस फिल्म के साथ होनी चाहिये जिसके प्रदर्शित होने पर विवाद हो जिससे समाज का माहौल बिगडने का मौका ही नहीं मिले ।
-रेणु शर्मा