
4 जनवरी को जब भारत सहित दुनिया भर के मुसलमान पैगम्बर मोहम्मद साहब का जन्म दिन जश्ने-ईद-मिलादुन्नबी के रूप में माना रहे थे। तभी भारत के अंदर हैदराबाद में मजलिस-ए-इतहादउल मुस्लिम (एमआईएम) के चीफ और लोकसभा के सांसद असुदुद्दीन औवेसी ने जश्न के समारोह में कहा कि हर बच्चा मुस्लिम पैदा होता है। जन्म के बाद माता-पिता धर्म निर्धारित करते हैं। औवेसी ने कहा कि असली घर वापसी तो तभी है, जब दूसरे धर्म के लोग मुस्लिम धर्म स्वीकार करें। सच्चा मुसलमान कभी भी दूसरा धर्म स्वीकार नहीं कर सकता। औवेसी ने यह बयान तब दिया है, जब देश में धर्मांतरण के नाम पर हिन्दू व मुस्लिम की राजनीति गरम है। एक ओर जहां औवेसी ने ऐसा तीखा बयान देकर माहौल को और गरम कर दिया है, वहीं 4 जनवरी की रात को ही मुम्बई हमलों का मास्टर माइंड हाफिज सईद ने भारत-पाक सीमा का मुआयना किया। खबरों में कहा जा रहा है कि सईद ने आतंकवादी संगठन लश्कर के कमांडरों और पाकिस्तानी सेना के बड़े अधिकारियों के साथ पाकिस्तान की सीमा से एलओसी को देखा। बख्तर बंद गाडिय़ों में बैठकर सईद ने पाक सेना को आवश्यक दिशा-निर्देश भी दिए। इसी के बाद से पाकिस्तान की सीमा से भारत की सीमा की 6 चौकियों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है। 4 जनवरी की रात से जो फायरिंग शुरू हुई वह 5 जनवरी तक जारी रही। भारतीय सीमा के रामगढ़, सांबा, हीरानगर आदि क्षेत्रों में लोगों का रहना मुश्किल हो गया है। हालांकि भारतीय की ओर से भी सेना माकूल जवाब दे रही है। लेकिन यदि सइद और औवेसी की गतिविधियों को मिलाकर देखा तो भयानक स्थिति सामने आती है। सब जानते हैं कि हाफिज सईद बार-बार भारत पर हमले की धमकी दे रहा है। हर रोज हाफिज सईद भारत के खिलाफ जहर उगल रहा है। हाफिज सईद व औवेसी की गतिविधियों के बीच पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशरफ का बयान बहुत मायने रखता है। मुशरफ ने हाल ही में कहा कि सीमा के उस तरफ रहने वाले भी पाकिस्तान के साथ हैं। यदि पाकिस्तान की सेना की ओर से कोई निर्णायक कार्यवाही की जाती है तो हम भारत को जबर्रदश्त नुकसान पहुंचा सकते हैं। मुशरफ के बयान में कितनी सच्चाई है यह तो वक्त ही बताएगा। लेकिन औवेसी ने जो बयान दिया है उसे किसी भी दृष्टि में उचित नहीं माना जा सकता। जहां तक विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल जैसे संगठनों के धर्मांतरण का मामला है तो सरकार को उन सभी के खिलाफ कार्यवाही करनी चाहिए। जो लालच और ताकत के बल पर धर्मांतरण करवा रहे हैं। इसके लिए सरकार को ऐसे कानून बनाने चाहिए जो सभी धर्माे के लोगों पर समान रूप से लागू होता है। धर्म के आधार पर किसी भी समुदाय को छूट नहीं मिलनी चाहिए। देश की आजादी के समय राजनेताओं ने धर्म के आधार पर छूट दी। उसी का नतीजा है कि आज पूरे देश में हिन्दू और मुसलमान एकजुट नहीं हो पाए हैं। अब तो राजनीतिक दलों में भी खेमाबंदी हो गई है। 4 जनवरी को ही कांग्रेस के प्रवक्ता अजॉय कुमार ने तो हद ही कर दी। कांग्रेस ने कहा कि गत 31 दिसम्बर की रात को पोरबंदर के निकट समुद्र में जिस पाकिस्तानी आतंकी बोट पर भारतीय कोस्टगार्ड ने जो कार्यवाही की उसमें सरकार को यह सबूत देना चाहिए कि बोट पर आतंकी ही सवार थे। गंभीर बात तो यह है कि ऐसा सवाल हाफिज सइद ने भी नहीं उठाया। क्या कोस्टगार्ड के जवान उन आतंकियों को पकड़ सकते थे, जो आत्मघाती बम बने हुए थे? ऐसा प्रतीत होता है कि कांग्रेस पाकिस्तान को खुश करने में कोई कसर नहीं छोडऩा चाहती है। कांग्रेस को लगता है कि पाकिस्तानी बोट के प्रकरण पर सवाल उठाकर भारत में रह रहे मुसलमानों को खुश किया जा सकता है। ये बात अलग है कि इस प्रकार की राजनीति करते हुए भी कांग्रेस को लगातार चुनावों में हार का सामना करना पड़ रहा है। अब तो रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने भी स्पष्ट कर दिया है कि पाकिस्तानी बोट भारत में आतंकी हमले की साजिश से ही समुद्री सीमा में घुसी थी। कोई माने या नहीं लेकिन देश के राजनेताओं की वजह से ही हिन्दू व मुसलमान के बीच खाई बढ़ती जा रही है।
-(एस.पी.मित्तल)(spmittal.