हर्षवर्धन आर्य की रचना का देवी नागरानी द्वारा सिंधी अनुवाद

मूल: हर्षवर्धन आर्य
Harshvardhanएक मुट्ठी नमक
एक मुट्ठी नमक
नहीं,
वह एक शस्त्र था
जिसने गला दी
जड़ें
दो सौ वर्ष पुराने
‘ओक‘ वृक्ष की ।
जब गिरा भारी-भरकम बूढ़ा ‘ओक ‘
दे गया
गहरा घाव
और,
दर्दीली दरार
धरती को !
पता: 2597/191, ओंकार नगर, त्रिनगर, जैन स्थानक रोड, दिल्ली-110035, फोन: 09958497292

सिन्धी अनुवाद: देवी नागरानी
Devi nangraniहिक मुट्ठ लूंण
हिक मुट्ठ लूंणु
नाहे ,
ऊहा हिकु शस्त्र आहे
जंहि गारे छडियूं
पाड़ूँ
ब सौ साल पुराणे
‘ओक‘ वण जूं।
जडहिं भारी-भरकम बुढो ‘ओक ‘ किरयो
डई वयो
गहरो ज़ख्म
ऐं,
दर्द भरियल डार
धरतीअ खे !
पता: ९-डी॰ कॉर्नर व्यू सोसाइटी, १५/ ३३ रोड, बांद्रा , मुंबई ४०००५० फ़ोन: 9987938358

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