अब हमे जानवरों से
डर नहीं लगता
मोहक लगती है
उनकी हिंसक छवि
शिकार पर झपटते हुए
उनकी तस्वीर
ड्राइंगरूम की दीवार पर
साकार कर देती है
जंगल का आदिम सौंदर्य
जंगली सन्नाटे को चीरती चीख़
गुम हो जाती है ख़ूनी जबड़ो में
डरे हुए हिरणों के झुण्ड में
ख़ुद को पहचान नहीं पाते हम
कुलांचे भरते हुए निकल आते हैं
तस्वीर के बाहर
बाहर से ताकत
कितनी खूबसूरत लगती है
सामर्थ्य के पक्ष में खड़े हो जाते हैं
जंगली दरख़्तों के तने
जंगल का राजा
नए शिकार की खोज में
झाँकने लगता है
तस्वीर के बाहर
रास बिहारी गौड़
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