पंचायत चुनाव : विपरीत माहौल फिर भी बढ़ गए कांग्रेस के वोट

पायलट का चला जादू
sachin 14-450विधानसभा,लोकसभा और निकाय चुनाव के बाद पंचायत चुनाव में पहली बार कांग्रेस ने स्थिति सुधारा है। पिछले पंचायत चुनाव के मुकाबले भले ही स्थिति खराब रही हो, लेकिन एक-डेढ़ साल से विपरीत माहौल के बीच इस चुनाव में वोट प्रतिशत में कांग्रेस ने 13 फीसदी बढ़ोतरी की है। विधानसभा चुनाव में बड़ी हार के बाद डॉ. चंद्रभान को हटाकर सचिन पायलट कोे प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया। इसके बाद पायलट के सामने चुनौती थी कि वे पूरी तरह से जनता की नजर में खत्म हो चुकी कांग्रेस को फिर से कैसे जिंदा करेंगे। हालांकि इसके बाद लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस की बड़ी हार हुई, लेकिन उपचुनाव में विधानसभा की चार में से 3 सीट जिताकर फिर से कांग्रेस में ऊर्जा का संचार करने की कोशिश की गई। अब पंचायत चुनावों में पायलट पार्टी को फिर से खड़ा करने में जरूर कामयाब हुए हैं।

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस काे केवल 30 फीसदी वोट मिले थे। भाजपा को करीब 46 फीसदी। दोनों दलों के बीच करीब 16 फीसदी का अंतर था। यह अंतर इस पंचायत चुनाव में घटकर केवल 4 फीसदी के आसपास रह गया है। इस चुनाव में कांग्रेस को करीब 43 फीसदी के आसपास वोट मिले हैं। जबकि भाजपा को करीब 47 फीसदी के आसपास। यानी कांग्रेस ने अपने वोटों में करीब 13 फीसदी की बढ़ोतरी की है। माना जा रहा था कि सत्ता में रहने का भाजपा को फायदा मिलेगा। जोड़तोड़ में भी भाजपा आगे निकल जाएगी और वह करीब 26 जिलों में जिला प्रमुख बनाने में कामयाब हो जाएगी। अलवर, नागौर और झुंझुनूं के अलावा भाजपा मानकर चल रही थी कि कोटा और बीकानेर में भी वह कांग्रेस के सदस्यों को तोड़कर अपने पक्ष में ले आएगी। ऐसा हुआ नहीं। पिछली बार काेटा में कांग्रेस के सदस्यों की संख्या ज्यादा थी, इसके बावजूद भाजपा का जिला प्रमुख बना। ऐसे में इस बार भी भाजपा यहां जिला प्रमुख बनने को लेकर आश्वस्त थी। परिणाम विपरीत आए। माना जा रहा है कि सचिन पायलट की रणनीति, चुनाव में गांव-गांव सभाओं ने प्रदेश में माहौल बदला है।

9 में बहुमत, 12 प्रमुख

अनुपम शर्मा
अनुपम शर्मा

सत्तामें भाजपा के रहते इस बार कांग्रेस ने 9 जिलों में जिला परिषदों में बहुमत प्राप्त किया। इसके बावजूद कांग्रेस 12 जिलों में अपने जिला प्रमुख बनाने में कामयाब रही। अलवर और नागौर में तो भाजपा के सदस्यों की संख्या कांग्रेस से ज्यादा थी, जबकि झुंझुनूं में कांग्रेस और भाजपा के बराबर सदस्य थे। माना जा रहा है कि कांग्रेस की नीति और कार्यशैली के चलते भाजपा और निर्दलीय सदस्यों ने भी कांग्रेस के जिला प्रमुख प्रत्याशी के समर्थन में वोट डाले। ऐसी ही स्थिति कई जगह प्रधानों के चुनाव में भी दिखी। विपरीत माहौल के बीच कांग्रेस के 118 प्रधान निर्वाचित हुए।

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