
श्रीमती सोनिया गांधी सिर्फ कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष ही नहीं है, बल्कि वह पार्टी के उपाध्यक्ष राहुल गांधी की माता जी भी है। इस नाते राहुल गांधी को ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहिए जिसकी वजह से माता जी का दिल दुखे। जहां तक सोनिया गांधी के दु:खों का सवाल है तो पति राजीव गांधी की हत्या के समय ही उन्हें जीवन के सबसे बड़े दु:ख का सामना करना पड़ा। फिलहाल राजनीति में हार जीत की बात छोड़ भी दी जाए तो यह दु:ख कम नहीं है कि सोनिया गांधी के पुत्र राहुल गांधी ने 45 वर्ष की उम्र में भी अभी तक विवाह नहीं किया है। पति की मौत के बाद यदि 45 साल की उम्र का इकलौता बेटा विवाह न करें तो दु:खों का हाल माता ही जान सकती है। 23 फरवरी को संसद के बजट सत्र के दौरान जिस प्रकार राहुल गांधी तथाकथित छुट्टी पर चले गए, यह कृत्य सोनिया गांधी के दु:खों को और भी बढ़ाने वाला है। कांग्रेस संगठन को लेकर राहुल गांधी को कोई ऐतराज हो सकता है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि वह अपनी माताजी के दु:खों को और बढ़ाएं। राहुल गांधी को यह समझना चाहिए कि कांग्रेस की अध्यक्ष से पहले सोनिया गांधी उनकी माताजी है। राहुल संसद सत्र के दौरान जिस प्रकार नाराज होकर चले गए, उससे सोनिया गांधी को ही सबसे ज्यादा परेशानी होगी। अच्छा होता कि राहुल गांधी पूरी ऊर्जा के साथ सरकार के जनविरोधी नीतियों का विरोध करते। हो सकता है कि मुद्दों पर राहुल और सोनिया में मतभेद हो, लेकिन इन मतभेदों को आपस में बैठकर सुलझाना चाहिए। राहुल गांधी यह अच्छी तरह जानते है कि उनके अवकाश पर आने से मोटी चमड़ी वाले कांग्रेसी नेताओं को कोई फर्क नहीं पडऩे वाला। जो भी परेशानी होगी वह उनकी माताजी को ही झेलनी पड़ेगी। यदि कांग्रेस के नेताओं को शर्म ही होती तो दिल्ली विधानसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीतने पर अफसोस प्रकट करते। चूंकि सोनिया गांधी के बाद राहुल गांधी को ही कांग्रेस की बागडोर संभालनी है, इसलिए इस प्रकार नाराज नहीं होना चाहिए।
(एस.पी.मित्तल)(spmittal.blogspot.in) M-09829071511