गुमनामी में भी बेसहारों का सहारा बन रहे हैं चतुर्वेदी

lalit kishor chaturvwdiकभी भाजपा के सिरमौर कहे जाने वाले ललितकिशोर चतुर्वेदी आज गुमनामी में रहकर भी बेसहाराओं को सहारा और लाइलाज लोगों को इलाज देने की कोशिशों में जुटे है ,,जी हाँ दोस्तों ललित किशोर चतुर्वेदी जो कभी हाड़ोती के शेर कहे जाते थे ,,हाड़ोती के विकास पुरुष कहे जाते थे ,,जिनकी दहाड़ से राजस्थान की विधानसभा ,,देश की राजयसभा गूंजती थी आज वही ललितकिशोर चतुर्वेदी पार्टी में उपेक्षा के शिकार है वोह तो उनके निजी मित्र ,,प्रशसंक है जो उन्हें आज भी जान से ज़्यादा चाहते है और इसीलिए उन्होंने ललित किशोर चतुर्वेदी को हाशिये पर नहीं आने दिया ,,,,दो अगस्त उन्नीस सो इकत्तीस को जन्मे ललित किशोर चतुर्वेदी ने फिजिक्स में मास्टर डिग्री प्राप्त की फिर डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त कर डॉक्टर ललित किशोर चतुर्वेदी फिर प्रोफेसर ललित किशोर चतुर्वेदी बने ,,भारतीय जनसंघ के वक़्त से राजनीति से जुड़े ,,,आर एस एस के कटटर सिपाही रहे ,,,, राम जन्म भूमि आंदोलन में मुखिया रहे ,,,आपात काल के दौरान सरकार के मुखर विरोध के दण्ड में मीसा बंदी के रूप में जेल यात्रा पर रहे ,,,,कई आंदोलन किये ,,लाठिया खाई फिर उन्नीस सो अस्सी में भाजपा सरकार में केबीनेट मंत्री बने ,,,ललित किशोर चतुर्वेदी और मुख्यमंत्री भरोसिंघ शेखावत के बीच में याराना भी था ,,वर्चस्व की लड़ाई भी थी ,,मुख्यमंत्री चाहे भेरो सिंह शेखावत हो लेकिन वर्चस्व में ललित किशोर चतुर्वेदी भी कम नहीं रहे ,,,कोटा मेडिकल कॉलेज ,,कोटा ओपन युनिवर्सीटी ,,कोटा विषविध्ह्याल्य ,,,कोटा इंजीनियरिंग कॉलेज ,,कोटा थर्मल सहित कई ऐसी विकास योजनाये है जो सिर्फ और सिर्फ ललित किशोर चतुर्वेदी के संघर्ष के कारण हाड़ोती को मिले ,,कोटा को बाईपास बनाने के मामले में उनका संघर्ष मज़बूत रहा लेकिन उनका यह सपना उनके कार्यकाल में पूरा नहीं हो सका ,,सार्वजनिक निर्माण मंत्री के वक़्त कई पूल ,,कई सड़के ,,इनके कार्यकाल में बनी ,,शहरीकरण का विकास हुआ ,,चिकित्सा मंत्री के वक़्त कई डिस्पेंसरियां कई विभाग चिकित्सालय में स्थापित हुए ,,,चिकितसकों को इनके निर्देश थे के कोई भी मरीज़ इलाज ,,दवा ,,चिकित्सा जांच के अभाव में मरने ना पाये ,,,,,ललित किशोर चतुर्वेदी बाद लगातार विधायक रहे ,,मंत्री रहे ,,राजयसभा के लिए निर्वाचित हुए ,,भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में मुखर रहे ,,,,,हाड़ोती के अधिकतम युवा नेता ललित चतुर्वेदी की उस्तादी के अखाड़े के ही पट्ठे है लेकिन ज़माना बदल गया इसलिए अब उस्तादों की अहमियत भी खत्म हो गयी है लेकिन फिर भी प्रह्लाद गुंजल विधायक ,,,हिरेंद्र शर्मा सहित कई भाजपाई आज भी उनके इशारे पर जान देने और जान लेने के लिए तय्यार दिखते है ,,कोटा प्रेस क्लब से उनका प्यार स्नेह बना रहा और इसीलिए उन्होंने अपने सांसद कोष से कोटा प्रेस क्लब की इमारत अलग अलग चरणों में आर्थिक मदद देकर पूरी करवाई है ,,,,,

अख्तर खान अकेला
अख्तर खान अकेला

आज भी कोई बीमार ,,लाइलाज बीमारी से पीड़ित कोई शख्स उनके पास जाए तो खाली हाथ नहीं आता है उनके ट्रस्ट ,,उनके मित्रों की मद्द्द् से उसका इलाज ज़रूर होता है और वोह आज भी ललित चतुर्वेदी ज़िंदाबाद के गुणगान कर नारे लगाता है ,,,,,,,,,,,लोग कहते है के ललित चतुर्वेदी जब मंत्री थे तो अपनों को भुलाकर कुछ चमचे चापलूसों में ,,,,,,घिरे थे ,,अपनों को डाँटो ,,दूसरों को बांटो का सिद्धांत था ,,ज़रा गुरुर तकब्बुर की अफवाह उड़ी बस फिर ललित चतुर्वेदी एक के बाद एक चुनाव हारते गए और फिर जो जीता वोह सिकंदर बना ललित चतुर्वेदी नेता से सेवक बन गए ,,लेकिन आज भी शेर बूढ़ा ही सही उसकी दहाड़ से राजनीति के जंगल में थर्राहट हो जाती है ऐसे लोग राजनीति में सबक़ भी है अनुकरणीय भी है
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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