राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष कैलाश मेघवाल को देश के सबसे बड़े अखबार दैनिक भास्कर और राजस्थान एवं एम.पी. के नम्बर वन अखबार राजस्थान पत्रिका के खिलाफ कन्टेम्प्ट दर्ज करना चाहिए। इन दोनों अखबारों ने विधानसभा अध्यक्ष की सार्वजनिक तौर पर मानहानि की है। इन दोनों अखबारों ने 6 अप्रैल के अपने-अपने संस्करणों में प्रथम पृष्ठ पर एक खबर छापी है, जिसमें कहा गया है कि 5 अप्रैल को भीलवाड़ा के सर्किट हाऊस में मेघवाल ने जो प्रेस कॉन्फ्रेंस की, उसमें पत्रकारों को एक-एक हजार रुपए के गिफ्ट वाउचर दिए। इन दोनों अखबारों का यह दावा रहा कि विधानसभा अध्यक्ष के गिफ्ट वाउचरों को उनके संवाददाताओं ने ठुकरा दिया। बस इसलिए इन दोनों अखबारों पर मेघवाल को विधानसभा अध्यक्ष की मानहानि करने का मामला दर्ज करना चाहिए। यह दोनों अखबार किस प्रकार विधानसभा अध्यक्ष के गिफ्ट वाउचरों को ठुकरा सकते हैं। आखिर मेघवाल कोई साधारण राजनेता नहीं है। मेघवाल तो उस विधानसभा के अध्यक्ष हंै, जिसमें भाजपा के 163 विधायक हैं। इस ताकत के दम पर ही तो विधानसभा में कांग्रेस के गिने चुने विधायकों को या तो बोलने नहीं दिया जाता या फिर सस्पेंड कर दिया जाता है। यदि इस पर भी कांग्रेस के विधायक चुप नहीं होते तो उन्हें मार्शल के जरिए सदन से बाहर फिकवा दिया जाता है।
जो मेघवाल इतनी ताकत रखते हो, उनके दिए हुए गिफ्ट वाउचरों को कोई अखबार ठुकरा दे, यह तो सरासर विधानसभा अध्यक्ष का अपमान ही है। कैलाश मेघवाल की जो राजनीतिक पृष्ठभूमि रही है, वह किसी से भी छिपी नहीं है। ये वही कैलाश मेघवाल हैं, जिन्होंने जालौर संसदीय क्षेत्र से तत्कालीन केन्द्रीय गृहमंत्री सरदार बूटा सिंह को चुनाव हराया। ये वही कैलाश मेघवाल है जिन्होंने भाजपा के दिग्गज नेता रहे स्व. भैरोसिंह शेखावत के इशारे पर वसुंधरा राजे के खिलाफ 33000 करोड़ के घोटाले के आरोप लगाए। राजे जब वर्ष 2004 में पहली बार राजस्थान की सीएम बनी तो उनका स्व.शेखावत और मेघवाल से 36 का आंकड़ा रहा। उस समय मेघवाल ने भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व को एक ज्ञापन दिया और आरोप लगाया कि वसुंधरा राजे ने सीएम के पद पर रहते हुए 33 हजार करोड़ रुपए का घोटाला किया। शेखावत के निधन के बाद मेघवाल ने दूरदृष्टि अपनाते हुए वसुंधरा राजे का दामन थाम लिया। यही वजह रही कि गत विधानसभा के चुनावों में वसुंधरा राजे अपने साथ कैलाश मेघवाल को लेकर भी घूमी। हर चुनावी सभा में मेघवाल का भाषण इसलिए करवाया गया ताकि 33 हजार करोड़ रुपए के घोटाले के आरोपों पर पानी डाला जा सके। जिन कैलाश मेघवाल ने 33 हजार करोड़ रुपए के घोटाले के आरोप लगाए, वही कैलाश मेघवाल चुनावी सभाओं में वसुंधरा राजे को प्रदेश का सबसे ईमानदार मजबूत और सफल सीएम बताते रहे। मेघवाल ने वसुंधरा राजे के प्रति जो भरोसा जताया, उसी का परिणाम है कि आज मेघवाल विधानसभा के अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठे हैं। भास्कर और पत्रिका को यह समझना चाहिए कि यदि वाउचर सिस्टम नहीं होता तो क्या वसुंधरा राजे और कैलाश मेघवाल में इतना मजबूत गठजोड़ होता है? भैरोसिंह शेखावत के कार्यकाल में जब कैलाश मेघवाल खान मंत्री थे, तब देश के मार्बल किंग आर.के.मार्बल के साथ जो गठजोड़ हुआ, वो आज तक भी बना हुआ है। ऐसे में हजार हजार रुपए के गिफ्ट वाउचर क्या मायने रखते हैं।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in) M-09829071511