दिसम्बर 2013 में दोबारा सीएम बनने के बाद जो परिस्थितियां उत्पन्न हुई, उनमें वसुंधरा राजे का ललित मोदी के साथ ऐसा भीषण विवाद हुआ कि ललित मोदी को राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष पद से रातों रात बर्खास्त कर दिया गया। जो वसुंधरा राजे 18 अगस्त 2011 को भगोड़े ललित मोदी के लिए इमिग्रश्ेान एप्लेकेशन पर हस्ताक्षर कर रही थी उसी वसुंधरा राजे की सरकार में क्रिकेट जगत में ललित मोदी की इज्जत मिट्टी में मिला दी। अब जब ललित मोदी के साथ वसुंधरा राजे का कोई संबंध नहीं रहा तो ललित मोदी की वजह से ही राजे के सीएम के पद पर खतरा मंडरा रहा है। इसे भगवान का फैसला ही कहा जाएगा कि जब राजे ललित मोदी से पिंड छुड़ाना चाहती है, तब उन्हें कहना पड़ रहा है की मोदी के साथ उनके पारिवारिक रिश्ते रहे हैं। 25 जून को तो वसुंधरा राजे ने साफ-साफ कह दिया कि ललित मोदी से दोस्ती की खातिर उसकी इमिग्रेशन एप्लीकेशन पर हस्ताक्षर किए थे।
राजे माने या नहीं, लेकिन अब कहा जा सकता है कि राजे के साथ भगवान नहीं है। 163 भाजपा विधायकों के होने के बाद भी राजे को सीएम के पद से जाना पड़ सकता है। हालांकि केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने एक बार फिर जोर देकर कहा है कि वसुंधरा राजे को नहीं हटाया जाएगा। हो सकता है कि वसुंधरा को लोकसभा के वर्षाकालीन सत्र के शुरू होने तक टिकाए रखा जाए। लेकिन जब 23 जुलाई को संसद सत्र शुरू होगा तो वसुंधरा राजे के इस्तीफे के मुद्दे पर ही कांग्रेस संसद को नहीं चलने देगी। हो सकता है कि तब पीएम नरेन्द्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह बड़ी समझदारी से वसुंधरा राजे को चलता कर देवे। जो लोग सुषमा स्वराज और वसुंधरा राजे के मामलों को एक नजरिए से देख रहे हैं वो गलत है। पहली बात तो यह है कि वसुंधरा राजे और ललित मोदी के बीच जो पारिवारिक संबंध रहे वैसे पारिवारिक संबंध सुषमा स्वराज के नहीं रहे। दूसरा वसुंधरा के बेटे दुष्यंत सिंह की कंपनी ने ललित मोदी की दिवालिया कंपनी से 11 करोड़ 23 लाख रुपए प्राप्त किए। जबकि ललित मोदी और सुषमा के बीच रुपयो का लेनदेन नहीं हुआ। 2004 के कार्यकाल में राजस्थान के जिन लोगों ने वसुंधरा ललित मोदी का गठजोड़ देखा है, उन्हें पता है कि 11 करोड़ 23 लाख रुपए तो रिकॉर्ड में है, जो राशि रिकॉर्ड पर नहंी है, उसका अनुमान लगाना मुश्किल है। वसुंधरा और ललित मोदी के विवाद की जड़ में पुराना हिसाब किताब ही तो है।
वसुंधरा राजे के समर्थक, प्रदेश के चिकित्सा मंत्री राजेन्द्र सिंह राठौड़ ने कहा कि भाजपा हाईकमान के द्वारा इस्तीफा मांगे जाने पर भी भाजपा के विधायक वसुंधरा राजे के साथ रहेंगे। राठौड़ को यह समझना चाहिए कि अब भाजपा का नेतृत्व नरेन्द्र मोदी और अमित शाह के पास है जो ऐसी धमकियों से निपटना जानते हैं। वो वक्त गुजर गया जब सीएम नहीं रहने पर भी वसुंधरा के साथ भाजपा के विधायक रहे। राठौड़ भी अब अच्छी तरह समझ ले कि भगवान साथ नहंी है। आज नहीं तो कल वसुंधरा राजे को जाना ही होगा।
(एस.पी. मित्तल) M-09829071511