सीमा आरिफ की रचनाएं

सीमा आरिफ
सीमा आरिफ
ज़ेहन में मेरे पहले अपना अस्तित्व खॊल दिया
अब मुझसे मेरी पहचान का पता पूछते हो

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तुझे पा लेने की कोई ख़ास
वजह नज़र नहीं आती

तुझसे बिछड़ जाने की उम्मीद
भी तो मन में घिर नहीं पाती

तुम बहुत आम से हो
इसलिए आँखों को सुहाए हो

तुम साधरण हो तभी
दिल में एक जगह
ले पाए हो

सीमा आरिफ़

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