पेंशन

sohanpal singh
sohanpal singh
83 दिन तक। हड़ताल फिर धरना, अब भूख हड़ताल फिर भी फुरसत नहीं , क्योंकि बातो से ही छुटकारा नहीं है, कभी इनकी बात , उनकी बात , मन की बात, बिहारियों की बात , कांग्रेसियों की बात, मुलायम से बात, कठोर से बात, माया की बात, ममता की बात, जमीन की बात , किसानो की बात , कर्मचारियों की बात, सचिवों से बात, भूमि अधिग्रहण की बात, दिल की बात फिर पितृ संघठन से बात बात न हो गई जैसे बीरबल की खिचड़ी हो गई । फिर भी विपक्ष का आरोप की प्रधान मंत्री संसद में बात नहीं करते ? चलो अब मीडिया में एक खबर आई है कि बेचारे फौजियों के लिए एक खुशखबरी आने वाली एक दो दिन में ! प्रधान मंत्री फौजियों की एक लंबित मांग एक रैंक एक पेंशन की घोषणा करने वाले है ? स्वागत योग्य तो है ही पर हम तो यह सोंच रहे है क्या यह घोषणा एक ओर जब फौजोयों को राहत प्रदान करेगी तो क्या यह और दूसरे अर्ध सैनिक बालों में असंतोष की आग को भड़कायेगी नहीं अवश्य ही भड़कायेगी ? उसके बाद यह सिलसिला सेवा निवृत सिविल कर्मचारियों को भी उद्देलित तो अवश्य ही करेगी ? क्योंकि NDA सरकार में जब भारत रत्न श्री अटल बिहारी जी प्रधान मंत्री थे उस समय सरकार ने 1 अप्रैल 2004 के बाद भर्ती होने वाले सिविल कर्मचारियों की पेंशन समसप्त कर दी थी ! यानि जो कर्मचारी 1 अप्रैल 2004 के बाद सरकारी नौकरी ज्वाइन करेंगे उनको सिविल पेंशन नहीं मिलेगी ? लेकिन सरकार है की न तो (तन) शरीर की बात करती है और न कफ़न की बात करती है

अब सवाल यह है की क्या पेंशन खैरात है ? शायद नहीं ! क्योंकि हमने सारे कानून और शासन व्यस्था अंग्रेजों से विरासत में ली है और अंग्रेजो ने अपने वफादार नौकरों के लिए यह सुनिश्चित किया था की आप हमारी सेवा और सुरक्षा करो हम आपको जीवन पर्यन्त सुरक्षा प्रदान करेंगे और शायद इसी कारण से सेवा निवृति पर किसी भी कर्मचारी को मिलने वाले इतने लाभ थे कि वह सेवा निवृति के बाद। सुख पूर्वक जीवन व्यतीत कर सके जिसमे पेंशन सबसे महत्वपूर्ण है ? लेकिन अंग्रेजों के इस प्रलोभन में जहां पूरी सिविल सेवा पालक पाँवड़े बिछा कर अंग्रेजों की सेवा जी जान से सेवा करते रहे वहीँ फ़ौज उनके इस प्रलोभन में नहीं। आई अन्यथा 1857 का सशस्त्र विद्रोह नहीं होता?

चूँकि सरकार का सबसे बड़ा सरकारी संघटन फ़ौज़ ही है जो कमसे कम सुविधा में भी सौंपे गए कठिन से कठिन कार्य विपरीत परिस्थितियों में करने में सक्षम है ! देश के गौरव को अक्षुण रखने में फ़ौज ही अपने प्राण निछावर कर देती है ! इसलिए फौजियों को पेंशन देना कोई खैरात देना नहीं है अपितु यह एक प्रकार का compensation यानि क्षतिपूर्ति जैसा ही है ! चूँकि एक जोर जहां। सिविल सर्वेंट पूरा जीवन सुविधा भोगी नौकरी करते हैं वहीँ फौजी का पूरा कार्य ही जोखिमवाला होता है वैसे भी फौजी को भरी जवानी में ही सेवा निवृत होना पड़ता है वे भाग्य शाली होते है जो 33 वर्ष की नौकरी पूरी कार् पाते हैं ! इसलिए अगर पेंशन की समरूपता की डिमांड फौजी करते है तो क्या गलत है ! लेकिन सुना है अब सरकार ने फौजियों की डिमांड मान ली है अब सभी फौजियों को सेवा निवृति के बाद वन रैंक वन पेंशन मिलेगा । सरकार को सद्बुद्धि आने के लिए हम फौजियों की और से धन्यवाद आभार सहित प्रकट करते हैं?

SPSingh,×Meerut

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