(अपनी सोच बदलें)
जागो मोहन प्यारे, बहुत देर हो जायेगी। अपने अन्दर के नायक को जगाइये। आप अपने संघर्ष व लडाई को आगे बढाइये, जीत आप की ही होगी। फिल्मी कहानियाँ भी कहीं ना कहीं वास्तविक जीवन से ही उठाई हुई होती है। बस प्रस्तुतीकरण अलग होता है।
आप आगे नहीं आयेगें तो कौन आगे आयेगा? देश का, समाज का क्या होगा? कौन हीरो बनेगा? हीरो बनना कोई गाली या व्यंगय नहीं है। साहस दिखाइये, जो भी आप कर सकते हैं, जितना भी आप कर सकते हैं, शुरुवात करें हीरो बनने की। परिणाम राष्ट्रहित व समाजहित में ही आयेगा। यदि आप की दिशा सही है तो लोग आपके काम की प्रंशसा करेगें, आप का आत्मविश्वास स्वयं ही बढ़ने लगेगा ।
मेरी सलाह है आपमें और हीरों या नायक में कोई फर्क नहीं है बस सामने आने की ही देर है। तो क्यों ना आज से, अभी से हीरो बनने के विचार को अमल में लाने में प्रयास करें। पहल तो किजिए सब आपका, सच का साथ देंगें।
बलराम हरलानी
लेखक का परिचय – एक सफल व्यवसायी, कृषि उपज मंडी के डायरेक्टर, समाज सेवी, पूर्व छात्र सेंट ऐन्सलमस अजमेर।
