राजनैतिक जीवन एंव नैतिकता बनाम भ्रष्टाचार

satya kishor saksenaदेश की आज़ादी के लिये असंख्य नेताओं ने जीवन व अरमानों की क़ुरबानी दी थी।भारत की आज़ादी के उपरातं सभी मे देश के निर्माण का जज़्बा था ।भ्रष्टाचार प्रायः राजनैतिक जीवन से दूर था।सब ही की प्राथमिकता राष्ट्रीय उत्थान व निर्माण था। विचारों से भी स्वार्थ परे था।
मेरे निजी सार्वजनिक जीवन के कई एेसे उद्धरण है जिनको याद करना आज सामयिक है।
सन् 1963 से मैं समाजवादी पार्टी से सम्बद्ध था तथा ज़िला महामंत्री था । मेरे बड़े भाई कृष्ण गोपाल जी गुप्ता मार्ग दर्शक थे।हमने डा.राम मनोहर लोहिया जी को अजमेर बुलाया तथा उनकी सहजता से प्रभावित हुये, उनके राजनैतिक आदर्श अनुकरणीय रहे हैं।
संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवाद’जोडे जाने व डा. लोहिया के देहावसान के उपरांत मैंने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की और सन 1967 में ज़िला युवक कांग्रेस अजमेर का अध्यक्ष निर्वाचित हुआ।
तत्कालीन राजनैतिक जीवन की शुद्धता व नैतिकता आज याद आती है। अजमेर के राजनैतिक सार्वजनिक जीवन के प्रमुख जन सर्व माननीय ज्वाला प्रसाद शर्मा , हरिभाऊ उपाध्याय ,बाल कृष्ण क़ौल ,बाल कृष्ण गर्ग ,विश्वेश्वर नाथ भार्गव ,गोपाल भैया, चौधरी जी प्रमुख रहे।
मा. हरिभाऊ उपाध्याय किसी संस्था के अध्यक्ष थे मात्र कार्य प्रणाली पर विधान सभा में प्रश्न किये जाने मात्र पर उनके द्वारा त्यागपत्र की पेश कस की गई।
राजस्थान विधान सभा में मा.मोहन लाल सुखाडिया जी के मुख्य मंत्री काल में तत्कालीन शिक्षामंत्री शिवचरण जी माथुर पर मात्र टिप्पणी किये जाने पर त्यागपत्र की पेश की गई।
इसी प्रकार भारत में ONGC के संस्थापक मा. केशव देव मालवीय जी ने एक रोचक घटना मुझ को सुनाई कि वह पं जवाहर लाल नेहरू जी के प्रधान मंत्री काल में पेट्रोलियम मंत्री थे तथा उनके दवारा भारत को पेट्रोलियम के क्षैत्रो में आत्म निर्भर करने का नारा दिया जिससे अमेरिका चिन्तित हुआ और CIA सक्रिय हो गया और मालवीय पर निगाह रखने लगा।बंगाल में उन दिनों एक उप चुनाव हुआ जिस में कांग्रेस उम्मीदवार को आर्थिक मदद हेतू उन्होंने एक स्लीप एक उद्योग पति के नाम लिखी कि उसको 11000/ की मदद कर दे। वह चिट्ठी CIA के हाथ पड़ गई। उस के आधार पर संसद में प्रश्न काल के दौरान मालवीय जी पर आरोप लगाया गया। पंडित नेहरू जी ने तुरन्त मालवीय जी से पूछा तो उन्होंने सत्यता को स्वीकारा । इस पंडित नेहरू के निर्देशानुसार त्यागपत्र तत्काल संसद के पटल पर रखा। यह थी नैतिकता।परन्तु आज की स्थिति में वह नैतिकता कंहा गई। क्या आज अपेक्षा की जा सकती है?

सत्य किशोर सक्सेना ,एडवोकेट , पूर्व पदाधिकारी कांग्रेस , पूर्व ज़िला प्रमुख , अजमेर(राज.)9414003192

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